दयानंद कश्यप की रिपोर्ट
तेघड़ा, बेगुसराय:कुर्बानी का त्योहार ईद-उल-अज़हा(बकरिद) पर्व हर तरफ उत्साह के साथ मनाया गया.अकीदतमंदो ने बरौनी व आसपास के इलाकों में ईद उल अजहा यानी बकरीद,जोशो-खरोश के साथ मनाया। ईदगाह और मसाजिदो में मुसलमानों ने सामूहिक तौर पर ईद उल अजहा (बकरीद)की नमाज अदा करने के बाद एक दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद पेश किया। दरगाह रोड बरौनी स्थित पुरानी ईदगाह में जामा मस्जिद बरौनी के इमाम व खतीब मुफ्ती कयामुद्दीन ने सुबह सात बजे नमाज़ पढ़ाया। ईद उल अज़हा की विशेष नमाज अदा करके देश में शांति, अमन और सद्भावना के लिए सभी ने मिलकर दुआएं भी मांगी.इस अवसर पर अहले सुबह से मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह और मस्जिद पर एकत्रित हुए नमाज अदा करने से पहले मुफ़्ती कयामुद्दीन ने कहा कि बकरीद यानी ईद उल अज़हा इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे प्रमुख त्योहार है।इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार,बारहवें महीने की10 तारीख को बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन इस्लाम धर्म के लोग मस्जिद और ईदगाह में जाकर नमाज अदा करते हैं और फिर जानवरों की कुर्बानी देते हैं। यह कुर्बानी का सिलसिला हजरत इब्राहिम से शुरू हुआ है।हजरत इब्राहीम 80 साल की उम्र में पिता बने थे. उनके बेटे का नाम इस्माइल था. हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को बहुत प्यार करते थे. एक दिन हजरत इब्राहिम को ख्वाब आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज (अपना लड़का)को कुर्बान कीजिए. इस्लामिक जानकार बताते हैं कि ये अल्लाह का हुक्म था और हजरत इब्राहिम ने अपने प्यारे बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया.और अपने बेटे को कुर्बानगाह ले जाकर अपने बेटे को औंधे मुंह लेटा कर हांथ पैर बांध दिया।और हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली,वहीं बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी चला दी. लेकिन खुदा को मंजूर कुछ और था,खुदा हजरत इब्राहीम और इस्माइल की इम्तहान लेना चाहते थे,जिसमें वो कामयाब रहे।और इस्माइल की जगह खुदा ने एक दुम्बा(बकरा) भेज दिया.और खुदा(अल्लाह) के हुक्म से इस्माइल की जगह हजरत इब्राहिम की छुरी दुम्बा पर चली।इसी बजह से रहती दुनिया तक हर मालदार मुसलमान पर जानवर की कुर्बानी वाजिब करार दिया गया.यह कुर्बानी हजरत इब्राहीम की सुन्नत है.कहा जाता है कि ये महज एक इम्तेहान था और हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुकुम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे. इस तरह जानवरों की कुर्बानी की यह परंपरा शुरू हुई.बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है.एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरा गरीबों के लिए.पर्व को लेकर विशेष तौर पर बच्चों में जबरदस्त खुशी देखने को मिली इस मौके पर विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहओं में अमन अमान कायम रखने के लिए मजिस्ट्रेट और पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।त्यौहार के पेसे नजर दरगाह रोड ईदगाह और मस्जिदों की साफ-सफाई नगर प्रशासन के द्वारा की गई थी। बरौनी इलाके के दीनदयाल रोड स्थित जामा मस्जिद,फुलवरिया गंज रहमानी ईदगाह,बारो मस्जिद,और ईदगाह में नमाज अदा की गई। इस अवसर पर मुख्य पार्षद सोनाली भारती, पूर्व उप मुख्य पार्षद शुरेश रोशन, राजद के मोहित यादव,जदयू के अध्यक्ष प्रमोद चौरिसिया,देव् कुमार,राजीव कुमार सिंह,भूमियार चन्दन सिंह,राजद के कामदेव यादव ने अपनी शुभकामना दी है।