पेरिस. फ्रांस ने भारत को राफेल लड़ाकू विमानों के अगले बैच को सौंप दिया है. इस बैच में शामिल पांचों विमान अभी फ्रांस की धरती पर ही मौजूद हैं. माना जा रहा है कि अक्टूबर में ये राफेल विमान भारत पहुंचेंगे. इन विमानों को पश्चिम बंगाल में स्थित कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा. जो चीन से लगती पूर्वी सीमा की रखवाली करेंगे. राफेल के पहले बैच में शामिल पांच विमानों को 10 सितंबर को एक औपचारिक कार्यक्रम के दौरान भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था.
फ्रांस ने भारत को सौंपी राफेल की दूसरी बैच
भारत में फ्रांस के राजदूत इमेनुअल लेनिन ने हमारे सहयोगी प्रकाशन इकनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि राफेल फाइटर जेट के दूसरे बैच को भारत को सौंप दिया गया है. ये विमान अभी फ्रांस में हैं, अब भारतीय वायुसेना पर यह निर्भर है कि वे कब इन विमानों को भारत लाते हैं. उन्होंने भारतीय वायुसेना के पायलटों की तारीफ करते हुए उन्हें उत्कृष्ट करार दिया.
भारत ने राफेल में कराए मोडिफिकेशन
चीन से लगती सीमा में चरम तापमान को देखते हुए इस विमान में भारत ने अपने हिसाब से कुछ मोडिफिकेशन भी करवाएं हैं. जिससे कम तापमान में भी यह विमान आसानी से स्टॉर्ट हो सकता है. पहले बैच में भारत पहुंचे 5 राफेल विमानों के 250 घंटे से भी ज्यादा की उड़ान और फील्ड फायरिंग टेस्ट किए जा चुके हैं. इन विमानों को अंबाला में 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है.
चीन के जे-20 पर भारी पड़ेगा राफेल
भारतीय राफेल के मुकाबले में चीन का चेंगदू J-20 और पाकिस्तान का JF-17 लड़ाकू विमान हैं. मगर ये दोनों ही राफेल के मुकाबले थोड़ा कमतर हैं. चीनी J-20 का मेन रोल स्टील्थ फाइटर का है, वहीं राफेल को कई कामों में लगाया जा सकता है. J-20 की बेसिक रेंज 1,200 किलोमीटर है जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है. J-20 की लंबाई 20.3 मीटर से 20.5 मीटर के बीच होती है. इसकी ऊंचाई 4.45 मीटर और विंगस्पैन 12.88-13.50 मीटर के बीच है यानी यह राफेल से खासा बड़ा है. पाकिस्तान के पास मौजूद JF-17 में चीन ने PF-15 मिसाइलें जोड़ी हैं मगर फिर भी यह राफेल के मुकाबले में कमजोर है.
अगले साल के अंत तक भारत आ जाएंगे सभी राफेल
भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए सौदा किया था. 36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान होंगे और छह प्रशिक्षण विमान. प्रशिक्षण विमानों में दो सीट होंगी और उनमें लड़ाकू विमान वाली लगभग सभी विशेषताएं होंगी. राफेल विमान, रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद 23 वर्षों में लड़ाकू विमानों की भारत की पहली बड़ी खरीद है.
महिला फाइटर पायलट्स की ट्रेनिंग एकदम पुरुषों जैसी ही होती है. एक बार पायलट किसी फाइटर टाइप को उड़ाने के लिए क्लियर हो जाएं तो उन्हें कनवर्जन ट्रेनिंग से गुजरना होता है. एक एयरक्राफ्ट से दूसरे एयरक्राफ्ट पर स्विच करने के लिए पायलट्स को इस ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है. जिस पायलट की ट्रेनिंग चल रही है, वह मिग-21 बायसन उड़ाती रही हैं.
IAF की 10 महिला फाइटर पायलट्स ने अब तक सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29 जैसे कई लड़ाकू विमान उड़ाए हैं. साल 2016 में केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद जो पहली तीन महिला फाइटर पायलट्स बनीं, उन्हें आप ऊपर तस्वीर में देख सकते हैं. वे हैं- फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह.
भारत आ चुके राफेल लड़ाकू विमानों की प्रैक्टिस जारी है. मिलिट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लद्दाख में भी ट्रेनिंग के लिए राफेल यूज किया जा सकता है क्योंकि इसमें ऐसे सिग्नल प्रोसेसर्स लगे हैं कि जो जरूरत पड़ने पर सिग्नल फ्रीक्वेंसी बदल सकते हैं.
भारत में जो राफेल आए हैं, उनके साथ Meteor बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, MICA मल्टी मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP डीप-स्ट्राइक क्रूज मिसाइल्स लगी हैं. इससे भारतीय वायुसेना के जांबाजों को हवा और जमीन पर टारगेट्स को उड़ाने की जबर्दस्त क्षमता हासिल हो चुकी है. Meteor मिसाइलें नो-एस्केप जोन के साथ आती हैं यानी इनसे बचा नहीं जा सकता. यह फिलहाल मौजूद मीडियम रेंज की एयर-टू-एयर मिसाइलों से तीन गुना ज्यादा ताकतवर हैं. इस मिसाइल सिस्टम के साथ एक खास रॉकेट मोटर लगा है जो इसे 120 किलोमीटर की रेंज देता है.
घातक हथियारों से लैस हैं ये राफेल
भारत में जो राफेल आए हैं, उनके साथ Meteor बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, MICA मल्टी मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP डीप-स्ट्राइक क्रूज मिसाइल्स लगी हैं. इससे भारतीय वायुसेना के जांबाजों को हवा और जमीन पर टारगेट्स को उड़ाने की जबर्दस्त क्षमता हासिल हो चुकी है. Meteor मिसाइलें नो-एस्केप जोन के साथ आती हैं यानी इनसे बचा नहीं जा सकता. यह फिलहाल मौजूद मीडियम रेंज की एयर-टू-एयर मिसाइलों से तीन गुना ज्यादा ताकतवर हैं. इस मिसाइल सिस्टम के साथ एक खास रॉकेट मोटर लगा है जो इसे 120 किलोमीटर की रेंज देता है.