श्री कृष्ण सिन्हा संस्थान में राष्ट्रहित में कलम की भूमिका पर विभिन्न साहित्यकारों के द्वारा गई सभी साहित्यकारों ने देश की विभिन्न परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की और साथ ही इस बात पर बल दिया कि सभी कलाकारों को अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा और देश की परिस्थिति पर और देश के लिए देश हित में लिखने की बात करनी होगी। सर्वप्रिय होने से ज्यादा सत्य प्रिय लेखन पर बल दिया गया। हम साहित्यकारों को अपने देश के भविष्य और देश की भावी पीढ़ी के बारे में भी सोचना होगा ।यह हमारा नैतिक धर्म भी है और सामाजिक धर्म की इस बैठक में जितने भी साहित्यकार थे उन्होंने एक स्वर से कहा कि कलम किसी एक पक्ष का नहीं होता है पर जाती उन्होंने यह बात भी कही की कलम के सामने सबसे बड़ा दायित्व देश की नींव को मजबूत करना होना चाहिए वह कलम व कलमकार
युवा लेखक जो देश को टुकड़े में बांटने की बात करता हो ऐसे कलमकार के कारण देश में परिस्थिति और भी नकारात्मक होती जा रही है और स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है। इस बैठक में मंजु ठाकुर ने भी अपने विचार व्यक्त किए जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं और साहित्य प्रेमी है और उन्होंने भी कहा कि साहित्यकारों को छापने से ज्यादा देशभक्ति की बात करनी होगी ।स्वार्थ की बात करने से स्वार्थ की सोचने से परमार्थ की बातें खुद हाशिए पर चली जाती है ।शहर के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं और शिक्षाविदों ने भी कहा कि साहित्यकार को, कलमकार को अपनी भूमिका का भान होना चाहिए और सच्चाई को लिखने और कहने से डरना नहीं चाहिए। उन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं का भी हवाला दिया और कहा कि देश हमेशा राष्ट्रकवि दिनकर के पद चिन्हों पर चला है ।और इसलिए आज भी दिनकर जैसे कवि और साहित्यकारों की जरूरत है। गोष्ठी में श्री हरिवल्लभ सिंह आरसी,श्री मंजु ठाकुर, धर्म चंद पोद्दार,अजय सिंह ,सरोज सिंह माधुरी मिश्रा,श्यामलाल पांडेय,डॉ कल्याणी कबीर ,डॉ अनिता शर्मा, आरती शर्मा, अभिलाषा कुमारी,अनिता निधि ,डॉ आशा गुप्ता,जयंत श्रीवास्तव चंद्रकांतजी
उपस्थित थे।