कोरोना महामारी में पूरी दुनिया को धकेलने वाले चीन ने अब वैक्सीन को लेकर भी सौदेबाजी शुरू कर दी है. उसने पहला शिकार बनाया है तुर्की को. जहां व्यापक स्तर पर चीनी वैक्सीन सिनोवैक लगाने का काम शुरू होने के बाद अब चीन ने इसकी आपूर्ति रोक दी है. वह उइगर मामले को लेकर तुर्की से वैक्सीन की सौदेबाजी पर उतर आया है. चीन तुर्की को वैक्सीन के मामले में झुकाकर जल्द से जल्द उइगरों के प्रत्यर्पण संधि को मंजूरी दिए जाने के लिए मजबूर कर रहा है.
प्रत्यर्पण संधि का राग अलाप रहा चीन
तुर्की में विपक्षियों ने वैक्सीन की शुरूआत होने के बाद अगली खेप में देरी पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि चीन प्रत्यर्पण संधि को मंजूरी न दिए जाने के कारण दंडित कर रहा है. जनवरी महीने के शुरू में तुर्की ने चीन की सिनोवैक वैक्सीन लगाने की अनुमति दी थी. इसके बाद पिछले गुरूवार से वहां पर बुजुर्गो और स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन देने का काम शुरू कर दिया गया.
वैक्सीन का काम शुरू होने के बाद ही पहले बैच की वैक्सीन भेजने में देरी होने के बाद तुर्की के विदेश मंत्री मेवलट केवसोग्लू ने अपने समकक्ष चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बात की. चीन ने वैक्सीन की खेप भेजने के बजाय प्रत्यर्पण संधि का राग अलापना शुरू कर दिया. 2017 में जब तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव फोरम में शिरकत की थी, उस समय उइगर मुस्लिमों के संबंध में प्रत्यर्पण संधि के समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे. तुर्की ने अपने यहां निवेश के कारण इस संधि पर हस्ताक्षर कर दिए थे. संधि को मंजूरी देने के लिए 2019 में संसद में प्रस्ताव भेजा गया, तब से यह मंजूरी के लिए लंबित है.
विपक्षी नेताओं ने कहा,नहीं होने देंगे संसद से मंजूरी
तुर्की के विपक्षी रिपलिब्कन पीपुल्स पार्टी के नेता यिलदिरिम काया ने कहा है कि चीन अब तुर्की को वैक्सीन की खेप देने में आनाकानी कर रहा है.
वह प्रत्यर्पण संधि को मंजूरी देने के लिए सौदेबाजी कर रहा है. विपक्षियों ने कहा है कि वह 26 जनवरी को शुरू होने वाली संसद में प्रत्यर्पण संधि को मंजूरी देने से रोकेंगे.
चीन कर रहा उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार
ज्ञात हो कि शिनजियांग प्रांत में चीन लंबे समय से उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार कर रहा है. उसकी कोशिश है कि उइगरों पर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले संगठनों व अन्य देशों रहने वाले कार्यकर्ताओं को किसी तरह से चीन वापस लेकर आए. इसी के तहत उसने तुर्की से प्रत्यर्पण संधि की है. जिसकी मंजूरी संसद के द्वारा दिया जाना अभी बाकी है.