भोपाल: सीमावर्ती राज्यों-महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सली अब मप्र के कई जिलों में अपने पैर फैला रहे हैं. कान्हा भोरमदेव दलम केबी के नाम से नक्सलियों के नए संगठन की मप्र में उपस्थिति दर्ज हुई है. बारिश के दौरान मप्र-छग की सीमावर्ती नदी सोन, बंजर और टांडा में पानी के भराव का फायदा उठाकर इन संगठनों ने अपना नेटवर्क बढ़ाया है.कान्हा राष्ट्रीय पार्क की सीमा से छत्तीसगढ़ के नक्सलियों ने मोतीनाला और बिछुवा होते हुए मंडला और डिंडौरी के रास्ते अमरकंटक व अनूपपुर जिले तक पहुंच बना ली है. उधर, झारखंड की सीमा से लगे सिंगरौली से सीधी जिले तक नक्सली गतिविधियां दर्ज की गई हैं.
छग-महाराष्ट्र का दबाव
छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस के बढ़ते दबाव के बाद नक्सली मप्र को अपना पनाहगार तो बना ही रहे हैं, साथ में प्रदेश में नेटवर्क का विस्तार भी कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इन दिनों पेंच-कान्हा कॉरिडोर से नक्सली संगठन छत्तीसगढ़ से बालाघाट में प्रवेश कर मंडला-अमरकंटक की ओर जा रहे हैं. बालाघाट के बैहर और मंडला के बिछिया-मवई तहसील में ग्रामीणों ने पुलिस को भी संदिग्ध लोगों को देखे जाने की सूचना दी है. बारिश से पहले भी इन क्षेत्रों में नक्सलियों ने शरण ली थी, तब नदी में पानी ज्यादा होने के कारण नक्सलियों के लिए सुरक्षित इलाका बन गया था.
मुठभेड़ के बाद बौखलाए
बालाघाट जिले के लांजी इलाके के देवरबेली स्थित पुजारी टोला में जुलाई में पुलिस ने मुठभेड़ में दो इनामी नक्सलियों को मार गिराया था. मुठभेड़ में तीन नक्सली फरार हो गए, इस घटना के बाद से ही नक्सली बौखलाए हुए हैं. बदला लेने के लिए वे बड़ी वारदात करने की फिराक में बताए जाते हैं. इस बारे में मप्र के गृह मंत्री बाला बच्चन से बात करने कोशिश की गई पर वे उपलब्ध नहीं हुए.
बालाघाट के पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी के मुताबिक महाराष्ट्र के गोंदिया के पास एक गांव में इन दिनों तीन नक्सल प्रभावित राज्यों का संयुक्त कैंप लगाया गया है, जिस कारण बहुत सारी सूचनाएं एक-दूसरे से शेयर हो रही हैं. बेहतर समन्वय बन रहा है. नक्सली विस्तार के संबंध में तिवारी कहते हैं कि स्थिति पूरी तरह हमारे नियंत्रण में है. बड़ी वारदात की आशंका पर कहा कि ऐसी खबरें आती रहती हैं. पूरी सतर्कता बरती जा रही है.