पटना. बिहार विधानसभा की समितियों को लेकर पिछले कई दिनों से चल रही सस्पेंस खत्म हो गई है. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार को समितियों के गठन का एलान किया. सिन्हा ने विधानसभा के 22 समितियों का एलान किया. इन समितियों में लोकलेखा समिति और प्राकलन समिति 31 मार्च 2022 तक के लिए प्रभावी होंगी. जबकि अन्य सभी समितियां 31 मार्च, 2021 तक के लिए प्रभावी होंगी.
विधानसभा में सभी दलों को संख्या के अनुसार समितियों में जगह मिली है. सबसे ज्यादा बीजेपी को सात समितियों का सभापति बनाया गया है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल के हिस्से में छह समितियां आई है. इसी तरह जनता दल युनाइटेड को पांच, कांग्रेस को दो और सीपीआई माले व हिंदुस्तानी आवाम पार्टी को एक-एक समितियां मिली हैं.
इस समिति में लोकलेखा समिति जिसके सभापति विपक्ष के नेता होते हैं, इसके सभापति आरजेडी के विधायक सुरेंद्र यादव को बनाया गया है. वहीं प्राकलन समिति के सभापति पूर्व मंत्री और बीजेपी के नेता नंदकिशोर यादव बनाए गए हैं. सरकारी उपक्रम समिति के सभापति हरिनारायण सिंह और याचिका समिति के सभापति पूवज़् कृषि मंत्री प्रेम कुमार को बनाया गया है.
विधानसभा मे गठित नई समितियों में आरजेडी के विधायक तेजप्रताप यादव और हम के प्रमुख जीतनराम मांझी को भी जगह दी गई है. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने तेजप्रताप यादव को गैर सरकारी एवं संकल्प विभाग का सभापति बनाया है. वहीं जीतनराम मांझी को अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण समिति का सभापति बनाया गया है.
विधानसभा समितियों के गठन को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा आमने-सामने दिखाई पड़े थे. सिन्हा ने पत्र लिखकर तेजस्वी से आरजेडी के नेताओं के नाम मांगे थे, पर तेजस्वी ने परंपराओं का हवाला देते हुए पहले आरजेडी को मिलने वाले समितियों के नाम बताने को कहा था.