पत्रकारों को ग़लत न समझों
निजाम खान
आज मैंने जामताड़ा जिला के कुंडहित प्रखंड के दर्जनों गांवों का दौरा किया।यह दौरा मैंने एक पत्रकार होने के नाते लॉक डाउन को लेकर किया।जितने भी गांवों का मैंने दौरा किया कहीं पर भी लॉक डाउन का पालन करते नहीं देखा।लोग ऐसे जमावड़ा कर गप करते देखे गये,सब्जी व राशन लेते समय सोशल डिस्टेंस(दूरी बनाते) नहीं देखा गया,बच्चों को एक साथ जमावड़ा होकर खेलते देखा गया।जैसे मानों दुनिया में कोविड-19 कोरोना वायरस जैसी महामारी ही नाम का चीज़ नहीं हुआ है।यकीन मानीये दिल काफी आहत हुआ।मेरे दौरा करने से अनेक साथीयों को भी शायद बहुत खराब लगा होगा।कुछ लोग तो मन ही मन गाली भी दिया होगा।शायद कुछ लोग यह भी सोचा कि मुझको डरा-धमकाकर जमावड़ा का फोटो डीलेट करवा देंगे।लॉक डाउन उल्लंघन का फोटो डीलेट करवाने के लिए शायद कुछ लोग मेरा पीछा भी किया।मेरे दौरा करते समय कुछ गांव के लोग कैमरे की नज़र से भागने के लिए दौड़ते भी देखा गया।इससे मुझे जितना मन ही मन हंसी आ रहा था उतना अपने आप में व्यथीत भी हो रहा था।वही कुछ गांव के लोगों ने मुझसे लॉक डाउन के उल्लंघन का फोटो डिलेट करवाने की रिक्यूयेस्ट भी किया।मैं सोचने पे मजबूर हो गया कि यह सब मैं क्यों कर रहा हूं।कुछ दूसरा ही न्यूज़ बना सकता था।इसी बीच चलिए मैं आपसे कुछ बातें शेयर कर रहा हूं।जिन साथियों को लॉक डाउन का न्यूज़ कवर करने के दौरान बूरा लगा।उन साथियों से मैं माफी चाहूंगा।लॉक डाउन को लेकर क्षेत्र का दौरा कर न्यूज़ कवर करना कोई मैं बैंक बैलेंस के लिए नहीं कर रहा हूं।आपके भलाई के लिए ही यह कदम मैं उठाने का साहस किया।शायद आप यह सोच रहे हैं कि अभी तो हमारे यहां कोई कोविड-19 कोरोना के चपेट में नहीं आया है।जब जो होगा सो होगा।कुछ गांव में लोग पुलिस को देखकर भाग जाते हैं।शायद आप सोच रहे हैं कि आप पुलिस को बेवकुफ बना दिये।नही मेरे यार अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो समझें कि आपसे बड़ा मुर्ख कोई है नही।क्योंकि आप पुलिस देखकर पुलिस से भाग सकते पर कोविड-19 कोरोना जैसे महामारी से भाग नहीं सकते।ऐसा नहीं मेरे साथी अभी तक समय है आप सुधर जायिये सावधानी बरतयिये।क्योंकि इस महामारी का दूसरा कुछ इलाज नहीं है।इसका एक मात्र घर के अंदर लोगों से दूरी बनाये रखना ही होता है।इसलिए साथीयों मुझे गलत न समझे।एक पत्रकार जबतक पब्लिक से संबंध ठीक नहीं बनायेगा तब तक वह सही तरह से पत्रकारिता कर ही नहीं सकता।एक साथी मुझे पुछा कि पत्रकार को तो छुट है।व तो निकल सकते हैं।मैंने कहा भाई मैं आपके नज़र में पत्रकार हूं।समाज के नज़र में पत्रकार हूं।लेकिन कोविड-19 कोरोना जैसी महामारी के लिये हम सब सिर्फ कोरोना का भोजन है।इसलिए मैं बहुत कम घर से निकलते है।जहां तक आप छुट की बात कर रहे हैं वह सिर्फ न्यूज़ के लिए छुट है।न कि बेवजह सड़कों पर हिरो बनने के लिये।साथी और एक बात मैं आपके समक्ष रख दूं।आप तो नारियल देखें ही होंगे।जिसका बाहर बहुत कठोर होता है।पर अंदर बहुत सफेद देखने में कठोर पर खाने में नरम है।ठीक मुझे भी आपको समझना है तो नारियल की समीक्षा कर मुझे पहचान सकते हैं।अब आप हमे नारियल कहकर चबा जायिये मत………..!इसलिए साथीयों खुश रहिये।जागरूक होयिये।सचेत रहिये।अगर आप अपने को,परिवार को,बच्चों को,गांव,देश व पूरी मानव जगत को बचाने चाहते हैं तो आसानी बच सकते हैं।सिर्फ आपको लॉक डाउन का पालन करना है।लोगों से दूरी बनाये रखना,जमावड़ा न करना,समय-समय पर साबुन या नहीं सेनीटाईजर से हाथ धोना,बेवजह सड़कों पर नहीं निकले।तभी हम कोविड -19 कोरोना वैश्विक महामारी से आसानी बच सकते हैं।इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं लॉक डाउन का पालन कर मानव जगत को बचा लीजिये।यार जान है तो जहान है।