चौधरडीह-मुड़ाबेड़िया तक 10 किमी सड़क निर्माण की उठी मांग
बागडेहरी/जामताड़ा: विकास से कोषों दूर है छोलाबेड़िया के ग्रामीण।छोलाबेड़िया में लगभग 200 घर है।आजादी के 72 वर्ष पूर्ण हो गये।पर अभी तक गांव को किसी भी मुख्य सड़क से जोड़ा नहीं गया है।बताते चले चौधरडीह मोड़ से पश्चिम बंगाल से सटा मुड़ाबेड़िया तक मुख्य सड़क लगभग 10 किलोमीटर सड़क का अभी तक निर्माण नहीं हो हका है।पूरा सड़क पथरीला हो गया है।सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे तथा नुकीले-नुकीले पत्थर निकल आये है।सड़क के जर्जर रहने से चौधरडीह,सिकंदरपुर,बागडेहरी,काठीजोड़ीया,छोलाबेड़िया,मुड़ाबेड़िया,बिक्रमपुर सहित दर्जनों गांवों के ग्रामीणों को प्रभावित होना पड़ता है।सड़क इतना जर्जर अवस्था में है सड़क पर वाहन पार करना तो दूर की बात दिन के उजाले में पैदल चलना मुश्किल हो गया है।गौरतलब है कि सड़क पर न तो विभाग का ध्यान गया और न ही किसी स्थानीय नेता व जनप्रतिनिधि का।लोगों की माने तो ग्रामीणों को आजतक अश्वासन के आलावा और कुछ नहीं मिला।ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की बदतर स्थिति से आये दिन गर्भवती पेसेंट के लिये काफी भयावह स्थिती सामने आ जाती है।गांव में वाहन आ नही सकता है।आता है तो टायर पंचर हो जाती है।गणीमत रहा अभी तक अप्रिय दूर्घटना नहीं घटी है।ग्रामीणों ने कहा कि समय रहते विभाग को अपनी कार्यशैली में सुधार लाना चाहिये।नहीं तो किसी दिन अप्रिय दूर्घटना घट जायेगी।ग्रामीणों ने कहा कि जिसका जिम्मेवार विभाग होंगे।वही छात्रों का स्कूल/कालेज जाने में भारी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है।बता दे इसी सड़क पर लोग पंचायत मुख्यालय,थाना मुख्यालय,प्रखंड मुख्यालय,जिला मुख्यालय आवाजाही करते है।
वर्ष 2005 में सड़क का बना था टेंडर:
नारायण घोष,मंतोष पाल,अजीत कुमार घोष,संतोष लाहा,कमाक्षा मंडल,धनंजय पाल,मृत्यंजय पाल,गणेश आरडी,रेणु घोष,सरस्वती घोष,संजय लाहा,सुपन लाहा,सोबारानी पाल,लतीका घोष,रुपोबती घोष आदि ने कहा कि वर्ष 2005 में आरईओ विभाग से सड़क का निर्माण कार्य शुरु हुआ था।संवेदक ने पुलिया,गार्डवाल,पीसीसी का काम कर सड़क का अधूरा काम कर छोड़ दिया।जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।कहा कि वर्ष 2005 अर्थात् 14 वर्ष से आजतक किसी भी पदाधिकारी,नेता व जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं गया।ग्रामीणों ने कहा जहां भी अपनी दर्द बयां किया बदले में सिर्फ आश्वासन ही मिला।ग्रामीणों ने कहा सड़क की स्थिती को देखकर बेटा-बेटी की बाहर से रिश्ता होने से लोग आनाकानी करते है।कहा कि यहां इलाज कराने के लिये आने जाने का कोई साधन नही है।पश्चिम बंगाल के बीरभूम के लोकपुर से बस में जाने के लिये लोकपुर पैदल ही आना-जाना करना पड़ता है।टोटो या कोई भी अन्य वाहन को छोलाबेड़िया जाने के लिये कहते तो वाहन चालक आने से साफ इंकार करते है।कहा कि चालक का कहना है वहां जाने से टायर पंचर हो जायेगा।वही छात्र चिनमय घोष,चंदन घोष,बाप्पा लाहा आदि ने कहा कि इसी रास्ते होकर विद्यालय जाते है।जबतब स्कूल जाते समय साईकिल का टायर पंचर हो जाता है।जिससे पठन-पाठन बाधीत हो जाती है।कहा बहुत बार गिरकर कई छात्र घायल भी हुये है।