नई दिल्ली. केंद्र सरकार के कृषि व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने रेड मीट मैन्युअल से हलाल शब्द को हटाने का फैसला किया है. एपीडा ने हलाल शब्द के बगैर सोमवार की रात नए दिशा-निर्देश जारी किए. बीते कुछ दिनों से हिंदू राइट विंग के कुछ ग्रुप हलाल को लेकर सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे थे.
एपीईडीए ने फूड सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम के स्टैंडड्र्स और क्वालिटी मैनेजमेंट के दस्तावेज में बदलाव किए हैं. पहले इसमें लिखा हुआ था कि जानवरों को हलाल प्रक्रिया का पालन करते हुए जबह किया जाता है. इसके तहत इस्लामी देशों की जरूरतों का खास ध्यान रखा जाता है. वहीं अब इस डॉक्यूमेंट में मीट को जहां इंपोर्ट किया जाना है, उस देश के अनुसार जानवरों का जबह किया गया है.
इस मैन्युअल में कहा गया है कि हिंदू धर्म और सिख धर्म के अनुसार हलाल मांस खाना मना है. ये धर्म के खिलाफ है. इसलिए समिति इस संबंध में प्रस्ताव पारित करती है कि रेस्टोरेंट और मांस की दुकानों को यह निर्देश दिया जाए कि वे उनके द्वारा बेचे जाने और परोसे जाने वाले मांस के बारे में अनिवार्य रूप से लिखें कि यहां हलाल या झटका मांस उपलब्ध है.
वहीं स्थायी समिति के अध्यक्ष राजदत्त गहलोत ने कहा कि इस प्रस्ताव को सदन द्वारा मंजूरी मिलने के बाद, रेस्तरां और मांस की दुकानों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा कि क्या उनके द्वारा बेचे जा रहे मांस हलाल या झटका विधि का उपयोग करके काटे गए हैं.
प्रसिद्ध लेखक हरिंदर एस सिक्का समेत कई लोगों ने इस संदर्भ में सोशल मीडिया में इसको लेकर जानकारी साझा की है. हरिंदर एस सिक्का ने सरकार के इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीयूष गोयल को धन्यवाद दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर लिखा है कि सरकार का यह कदम एक देश, एक नियम के तहत लिया गया फैसला है.
सिक्का ने आगे लिखा है कि यह कदम हलाल मीट परोस रहे सभी रेस्टोरेंट और होटल्स के लिए एक संदेश है. उन्होंने लिखा है कि अब हलाल सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं होगा और अब सभी वैध मीट कारोबारी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.