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    Home » किसान आंदोलन के कारण सप्‍लाई चेन प्रभावित, हरियाणा की कई फैक्‍ट्रियां बंद
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    किसान आंदोलन के कारण सप्‍लाई चेन प्रभावित, हरियाणा की कई फैक्‍ट्रियां बंद

    Devanand SinghBy Devanand SinghDecember 7, 2020No Comments4 Mins Read
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    चंडीगढ़. लॉकडाउन के चलते पहले ही बदहाली झेल रही हरियाणा की इंडस्ट्री किसान आंदोलन और दिल्ली बॉर्डर सील होने के चलते चरमरा गई है. कच्चे माल की कमी के चलते मुर्गीपालन से प्लाइवुड, होजरी से फार्मेसी तक सभी सेक्टर मरणासन्न स्थिति में पहुंच गए हैं. कच्चा माल लाने वाले कई ट्रक अलग-अलग बॉर्डर पॉइंट में फंसे हुए हैं और फैक्ट्रियां अपनी सप्लाई खत्म करने के कगार में हैं.

    केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के चलते दिल्ली पुलिस ने हरियाणा-दिल्ली के दो मुख्य बॉर्डर टिकरी और सिंघु भी बंद कर दिए हैं. परिणाम स्वरूप दिल्ली के नजदीक जिलों जैसे सोनीपत, रोहतक, जींद और पानीपत में मौजूद फैक्ट्रियों पर बुरा असर पड़ा है. सीमा सील होने के चलते इंडस्ट्री एक्सपर्ट तकरीबन 2500 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन कर रहे हैं.

    अलग-अलग लोकेशन मे फंसे 7,500 मालवाहक ट्रक

    एक्सपर्ट्स का कहना है कि आंदोलन के चलते मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट के निर्यात में भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि 7,500 ट्रक अलग-अलग लोकेशन में फंसे हुए हैं. कच्चे माल की सप्लाई चेन टूट चुकी है, बहादुरगढ़ स्थित फुटवियर इंडस्ट्री पर भी बुरा असर पड़ा है. अपुष्ट अनुमान के मुताबिक 400 करोड़ रुपये का फिनिश्ड प्रॉडक्ट फैक्ट्रियों में ही पड़ा हुआ है और ट्रांसपोर्ट के इंतजार में है.

    बहादुरगढ़ में 1,300 फुटवियर फैक्ट्रियां बंदी के कगार पर

    बहादुरगढ़ में फुटवियर मैन्युफैक्चरर नरेंद्र चोपड़ा ने कहा कि सर्दियां जूतों की बिक्री का पीक सीजन होती है और व्यापार में हो रहा नुकसान अधिक दुखदायी है क्योंकि फैक्ट्रियों में रखा तैयार माल बॉर्डर के उस पार भेज ही नहीं पा रहे हैं. नरेंद्र कहते हैं, ‘बहादुरगढ़ में करीब 2,000 फुटवियर फैक्ट्री हैं, इनमें से कच्चा माल उपलब्ध न होने के चलते 1,300 फैक्ट्री बंद होने के कगार में है. पिछले 10 दिन से भी अधिक समय से 70 फीसदी तक प्रॉडक्शन कम हो गया है क्योंकि कच्चा माल ही नहीं है.’

    फैक्ट्रियों में रखा खराब हो रहा तैयार माल

    पानीपत और सोनीपत फूड प्रोसेसिंग का हब कहा जाता है. यहां कच्चा माल खत्म होने से 50 फीसदी फैक्ट्रियां अस्थायी रूप से बंद हो चुकी हैं. फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि करीब 1,000 करोड़ रुपये का माल ट्रांसपोर्ट होने के लिए तैयार था. कुंडली और बेरी के बीच करीब 4,200 इंडस्ट्री हैं जहां साल में 2,800 करोड़ रुपये का बिजनस होता है.

    वुलन कपड़ों का व्यापार मंदी की चपेट में

    पानीपत इंस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रीतम सिंह सचदेवा ने बताया कि यहां धागों की कमी हो गई है जो गुजरात से मंगाए जाते हैं. उन्होंने बताया, कई छोटे मैन्युफैक्चररों को माल उपलब्ध न होने के चलते अपनी दुकानों के शटर गिराने पड़े. सर्दियों का मौसम स्वेटर और कार्डिगन का मौसम होता है और हमारा व्यापार इस समय बुरी तरह मंदी की चपेट में है.

    ट्रांसपोर्टर तय कर रहे लंबी दूरी, कच्चे माल के दाम बढ़े

    किसान आंदोलन और सीमाएं सील होने के चलते ट्रांसपोर्टर भी बेहाल है. दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर 7500 से ज्यादा ट्रक फंसे हुए हैं. ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव प्रदीपमोदी कहते हैं कि उन्होंने वेट ऐंड वॉच पॉलिसी ही अपना ही है. वह कहते हैं, ‘यहां सामान भेजने में बहुत असुविधा हो रही है. हम केएमपी और दूसरे वैकल्पिक रूट के जरिए सामानों की शिपिंग कर रहे हैं. नतीजा, हमें लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है और कच्चे माल का दाम भी बढ़ गया है.’

    यूपी में 20 घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे ट्रक

    इसी तरह हरियाणा पुलिस के यूपी सीमा सील करने के चलते मथुरा के कोटवां में कच्चे माल से लदे ट्रक समेत हजारों वाहन दिल्ली-आगरा एनएच 2 पर 20 घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे. पलवल और होडल में किसानों के प्रदर्शन शुरू करने के बाद इन सीमाओं को सील करने का फैसला लिया गया था. शनिवार शाम को बॉर्डर खोले गए.

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