नई दिल्ली. सरकार और किसानों के बीच 11वें राउंड की बैठक में कुछ हल निकल सकता है. केंद्र ने किसानों के सामने दो प्रपोजल दिए हैं. केंद्र ने किसानों से कहा है कि दो साल तक कृषि कानूनों को निलंबित किया जाएगा और एमएसपी पर बातचीत के लिए नई कमेटी का गठन किया जाएगा. हालांकि, इस पर अभी किसान संगठनों ने अपनी रजामंदी नहीं दी है. इस प्रपोजल पर किसान अलग बैठक कर रहे हैं.
एनआईए की कार्रवाई को लेकर किसानों को ऐतराज
विज्ञान भवन में जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 40 किसान संगठनों के नेताओं से बातचीत शुरू की थी तो किसानों केवल कानून वापसी की ही मांग उठाई. लंच के दौरान किसानों ने कहा कि सरकार हमारी प्रमुख मांगों पर कोई बातचीत नहीं कर रही है. एमएसपी को लेकर हमने चर्चा की बात कही तो केंद्र ने कानूनों का मुद्दा छेड़ दिया. किसान नेताओं ने आंदोलन से जुड़े लोगों को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की तरफ से नोटिस भेजने का भी विरोध किया. संगठनों ने कहा कि एनआईए का इस्तेमाल किसानों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है. इस पर सरकार ने जवाब दिया कि अगर ऐसा कोई बेगुनाह किसान आपको दिख रहा है तो आप लिस्ट दीजिए, हम ये मामला तुरंत देखेंगे.
टीकरी बॉर्डर पर 2 और किसानों की मौत
टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल बुजुर्ग किसान धन्ना सिंह की बुधवार को मौत हो गई, मौत की वजह अभी पता नहीं चल पाई है. उधर, 42 साल के किसान जय भगवान राणा की भी मौत हो गई. रोहतक जिले के रहने वाले राणा ने मंगलवार को सल्फास खा ली थी. वे टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल थे. राणा ने सुसाइड नोट में लिखा- अब यह आंदोलन नहीं रहा, बल्कि मुद्दों की लड़ाई बन गई है. किसानों की केंद्र सरकार से बातचीत में कोई हल भी नहीं निकल रहा.
एक्सपर्ट कमेटी की किसानों से पहली मीटिंग कल
कृषि कानूनों के मुद्दे पर समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के 3 सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली में पहली बैठक की. इसमें आगे की प्रक्रिया, कब-कब मीटिंग करेंगे, कैसे सुझाव लेंगे और रिपोर्ट तैयार करने पर विचार किया गया. कमेटी के मुताबिक 21 जनवरी को समिति किसान संगठनों के साथ बैठक करेगी. जो किसान नहीं आएंगे, उनसे मिलने भी जाएंगे. ऑनलाइन सुझाव लेने के लिए पोर्टल बनाया गया है. 15 मार्च तक किसानों के सुझाव लिए जाएंगे.
इससे पहले समिति के सदस्यों की निजी राय कानूनों के पक्ष में होने का हवाला देते हुए उन्हें बदलने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि किसी व्यक्ति को उसके पहले के विचारों की वजह से समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता.