मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटैल ने धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राजपत्र में नोटिफिकेशन के बाद लव जिहाद के खिलाफ बना यह कानून एक-दो दिन में ही प्रदेश में लागू हो जाएगा. शिवराज कैबिनेट के प्रस्ताव को लखनऊ भेजा गया था, जिसपर राज्यपाल ने आज गुरुवार को शाम हस्ताक्षर कर दिए है, हालांकि इसे 6 माह में विधानसभा में पास कराना होगा.
बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में 29 दिसम्बर को शिवराजसिंह चौहान सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश के ड्राफ्ट को अनुमोदन दे दिया था, अध्यादेश में बहलाकर, प्रलोभन, बलपूर्वक या धर्मान्तरण कराकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से दस साल तक की सजा व एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान किया गया है. गौरतलब है कि एमपी से पहले यूपी में लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश लाया गया. यहां पिछले साल 26 नवंबर को आनंदी बेन ने ही मंजूरी दी थी. वहां विधानसभा सत्र नहीं होने के कारण अध्यादेश के माध्यम से कानून लागू किया गया, जबकि मध्यप्रदेश में विधानसभा सत्र प्रस्तावित था, लेकिन इसके स्थगित होने के कारण अब इसे अध्यादेश के रास्ते लाया गया है.
ऐसे होगे कानून में प्रावधान-
-धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा.
-जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.
-धर्मांतरण व जबरिया विवाह की शिकायत पीडि़त, माता-पिता, परिजन या अभिभावक द्वारा की जा सकती है.
-यह गैर जमानती अपराध होगा
-बिना आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.
-इस कानून में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा.
-अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
-आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा.