इरोम शर्मिला “मणिपुर की आयरन लेडी” के रूप में लोकप्रिय उत्तर पूर्व में संघर्ष-ग्रस्त राज्य का सबसे पहचाना जाने वाला चेहरा है. अपनी बारहवीं कक्षा को पास नहीं करने के बावजूद, वह अपने राज्य में ‘सार्वजनिक प्रतिरोध का प्रतीक’ बन गई है. इरोम के लिए, उनके पिता का उनके जीवन में बहुत प्रभाव रहा है. 2 नवंबर 2000 को, उसने “मालोम नरसंहार” के बाद भूख हड़ताल शुरू की, जहाँ 10 लोग मारे गए, जिसका उस पर बड़ा असर पड़ा. 500 हफ्तों से अधिक समय तक भोजन और पानी से इनकार करने के बाद उन्हें ‘दुनिया की सबसे लंबी भूख स्ट्राइकर’ के रूप में मान्यता दी गई है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 2014 पर उन्हें एमएसएन पोल द्वारा भारत की शीर्ष महिला आइकन के रूप में चुना गया था. हालांकि इरोम ने पानी और भोजन दोनों से इनकार कर दिया है, लेकिन सरकार उसे खिलाने के लिए मजबूर करती है. हर साल, उसे आत्महत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है. उसे अपना आंदोलन शुरू किए 16 साल हो गए हैं, लेकिन उसका संकल्प अभी तक नहीं टूटा है. वह कहती है कि वह केवल तभी खाएगी जब भारत सरकार पूर्वी भारत के सात राज्यों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को निरस्त कर देगी
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