कृष्णा चौधरी की रिपोर्ट
बेगूसराय : मंझौल अनुमंडल क्षेत्र का विश्व प्रसिद्ध रामसर साइट कावर झील पक्षी विहार के विकास को लेकर राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में फिर से आवाज उठाई है। उन्होंने शून्यकाल के दौरान रामसर साइट से जुड़े हुए मुद्दा को उठाया । उन्होंने बिहार के बेगूसराय के मंझौल में अवस्थित कावर झील को 20 अक्टूबर 2020 को फिर से रामसर साइट में शामिल कराने को लेकर उन्होंने भारत सरकार को बधाई दिया। आगे उन्होंने कहा कि रामसर साइट एक समझौता है जो ईरान के एक शहर के नाम से जुड़ा हुआ है । जब 1971 ई में रामसर सम्मेलन हुआ था तो इसमें विश्व के 171 देश शामिल हुए । उन्होंने कहा कि दुनिया के लगभग 2400 ऐसे वेटलैंड्स हैं जिसका कावर झील हिस्सा है। भारत में 47 ऐसे वेटलैंड हैं जिसमें कावर झील भी शामिल है । इसका जो क्षेत्रफल है वह बाकी जिलों की तुलना में 3 गुना अधिक है इसका क्षेत्रफल लगभग 2400 एकर में फैला हुआ है। यह भरतपुर अभ्यारण से 3 गुना अधिक है। इस कावर झील में 59 प्रकार के विदेशी पक्षी वह 107 प्रकार के देसी पक्षी इसका विकास नहीं हो पा रहा है वह यूं ही पड़ा हुआ है । इससे यहां के किसानों को भी हानि हो रही है जो लैंड डिनोटिफाइड होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। किसान ना उसे जोत पा रहे हैं ना बेच पा रहे हैं। जो यह क्षेत्र सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भगवान बुध का एक स्तूप है जो ऐतिहासिक है जहां भगवान बुध का आगमन हुआ था । उन्होंने भारत सरकार से मांग किया है कि रामसर साइट में शामिल ऐसे अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले जगहों को उसके विकास के लिए राज्य सरकार, जिला प्रशासन और भारत सरकार तीनों में कान्बिनेशन बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर इसे एक पहचान दिलाया जाए। कावड़ नेचर क्लब के संस्थापक महेश भारती, युवा नेता सौरव कुमार सिप्पी , अविगत शांडिल्य, शिवम वत्स, सोनू सरकार आदि ने कहा है कि रामसर साइट कावर झील के मुद्दे को जल्द से जल्द सरकार को सुलझा कर यहां पर्यटन स्थल का विकास किया जाना चाहिए। जिससे बेगूसराय जिला और बिहार राज्य का पर्यटन स्थल के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हो सके और यहां भारी मात्रा में रोजगार उपलब्ध हो सके । हम लोग मांग करते हैं कि सरकार जल्द से जल्द यहां विकास कार्य को शुरू करें।