स्वर्ग के चपरासी बने दीक्षित जी…
अजीत कुमार
जीवन रुपी इस सफर में कभी-कभी ऐसे व्यक्ति भी मिल जाते हैं, जिनसे न तो कोई खून का, परिवार का रिश्ता होता है। फिर, पता नहीं कैसे, वैसे लोग दिलो-दिमाग में ऐसा स्थान बना लेते हैं, जिनका साथ छूटना बड़ा ही सालता है। उनका साथ छूटने के बाद सूनी पड़ी जगह, भरते नहीं भरता…!! ऐसे ही लोगों में शुमार थे हिंदी दैनिक ‘दैनिक जागरण’ के बिहार-झारखंड संपादक सह प्रभारी ‘शैलेन्द्र दीक्षित’ जी।
बताना नहीं भूलना चाहूंगा, शैलेन्द्र दीक्षित जी बड़े लंबे अरसे तक दैनिक जागरण(बिहार-झारखंड) के संपादक सह प्रभारी रहे। अपने इस कार्यकाल में उन्होंने अपनी शैली और अपने शब्द देकर कई युवाओं को एक बेहतर पत्रकार ही नहीं बनाया, बल्कि पत्रकारिय धर्म निभाने की कला भी सिखाई। जहां लोग पत्रकार को नौकरी देते थे, वहीं दीक्षित जी एक ऐसे व्यक्ति थे, जो एक पत्रकार में एक बेहतर इंसान की तलाश में रहते थे। और, जब उन्हें एक पत्रकार में बेहतर इंसान की तलाश पूरी हो जाती थी, तो उसे एक ‘फोन-काॅल’ कर अपने पास ले आते थे..! ऐसा बड़ा और पुनीत कार्य सबों के बस की बात नहीं, सिवाय ‘दीक्षित जी’ के। किसी से गहरा जुड़ाव उन्हें थोड़ा देर से होता था, पर जिससे हो जाए, तो फिर उसे निभाने में अपने ओहदे को आड़े नहीं आने देते थे। उनके द्वारा भेजे ‘सुप्रभात संदेश’ को दो-चार दिन नहीं देख पाएं, तो वीडियोकाॅल कर खोज-खबर ले लेना सबों के बस की बात नहीं, मगर दीक्षित जी ऐसा भी किया करते थे..! मगर, विधि के विधान को कौन रोक पाया है… उस पर किसी का भी जोर नहीं…! आखिर, परमात्मा को भी तो ऐसे बड़े दिलवाले नेक इंसान की जरूरत होती है। लिहाजा, परमात्मा ने तो अपनी संसद की सूनी पड़ी जगह को दीक्षित जी को अपने पास बुलाकर भर लिया, पर अब दीक्षित जी के बगैर हमारे दिलों में सूनी पड़ी जगह को कौन भरेगा….कौन भरेगा…कौन भरेगा.. ??
मूलतः कानपुर के रहने वाले दीक्षित जी ने अपना अंतिम सांस भी, अपनों के बीच, कानपुर में ही लिया। और, ऐसा ही वो चाहते थे भी।
दिवंगत आत्मा को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि! शत-शत नम????????
????????