मो०तौक़ीरआलम , (शिक्षक,रजौली तकिया)
रजौली ,नवाद :मो०तौक़ीरआलम , (शिक्षक,रजौली तकिया) कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम अपनी कई विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है लेकिन कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन का बलिदान संसार की सबसे महान ऐतिहासिक घटना है | इमाम हुसैन के हाथों इस्लाम अपने वास्तविक रूप में परवान चढ़ रहा था | यज़ीद के पास इस्लामी ख़िलाफ़त का जाना वास्तव में इस्लाम के दीप का बुझ जाना था | कूफ़ावासिय के संवाद पर इमाम हुसैन लंबी यात्रा करके कर्बला पहुँचें , जहां भय और ज़ुल्म से इमाम हुसैन को यज़ीदी ख़िलाफ़त स्वीकारने का भरसक प्रयास किया गया | अब इमाम हुसैन के पास जंग के सिवा कोई रास्ता नहीं था क्योंकि इमाम हुसैन ख़िलाफ़त और बादशाहत के सैद्धांतिक मतभेदों को समझते थे इसलिए हालात अपने पक्ष में न होने पर भी उन्होंने अपना और अपने आत्मजनों का प्रिय जीवन भी इस्लाम को भेंट कर दी | यज़ीद तो एक चेहरा मात्र था वास्तव में इमाम हुसैन की लड़ाई यज़ीद के उन कार्यों से था जो इस्लाम में नाजायज़ और हराम है | आज मुहर्रम में आस्था और परम्परा के नाम पर हम उन कार्यों को प्राथमिकता दे रहे हैं जिनका इमाम हुसैन या इस्लाम से कोई संबंध नहीं है | इमाम हुसैन सिर्फ मुहर्रम में याद करने का नाम नहीं है बल्कि इनका जीवन हमें संकट के समय भी सच के साथ दृढ़ता से खड़े रहने की प्रेरणा देता है |