तेज आंधी के साथ बेमौसम बारिश से फसलों को हुई व्यापक नुकसान, कृषि वैज्ञानिकों ने लिया जायजा
राष्ट्र संवाद संवाददाता
गुरुवार की रात्रि क्षेत्र के विभिन्न भागों में आंधी के साथ हुई वर्षा से फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका है. मक्का, गेहूं फसल के अलावे आम, लीची के मंजरों व छोटे छोटे फलों को भारी नुकसान होने की संभावना जतायी गयी है. इस संदर्भ में कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के वैज्ञानिकों ने विभिन्न फसलों के नुकसान का जायजा लिया. प्रकृति की बेरुखी से परेशान किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने अपने सुझाव साझा किया है. इसकी जानकारी देते हुए केविके के वरीय सह प्रधान डॉ राम पाल ने बताया है कि जिन खेतों में मक्का की फसल पक चुकी थी, तेज हवा के कारण वहां पौधे धराशायी हो गये हैं और भुट्टे जमीन पर आ गये हैं. जिसके कारण उनके पूर्ण रूप से पकने की संभावना नहीं है. जिन खेतों में मक्का अभी कच्ची अवस्था में थी, वहां पौधे गिरने से भुट्टे बन ही नहीं पाएंगे. इससे उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है. प्रधान कृषि वैज्ञानिक ने बताया है कि भारी बारिश और तेज हवा के कारण आम एवं लीची के मंजरों व छोटे-छोटे फलों का भारी मात्रा में झड़ाव हुआ है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.प्रधान कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जिन खेतों में गेहूं की कटाई हो चुकी है, वहां भुसे के गीले हो जाने से पशुओं के चारे की कमी हो सकती है. वहीं दूसरी ओर जिन खेतों में अभी गेहूं की कटाई नहीं हुई है, वहां अत्यधिक नमी के कारण फसल की उपज पर विपरीत असर पड़ेगा.
किसानों को दिए गए सुझाव-
कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को खाली खेतों में हरा खाद तैयार करने की सलाह दिया है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया है कि जिन खेतों में अभी कोई फसल नहीं लगी है, वहां किसान ढैचा या मूँग जैसी हरी खाद वाली फसलों की बुवाई करें. ये फसलें नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करती हैं तथा जैविक कार्बन बढ़ाती हैं. साथ ही साथ मिट्टी की उर्वरता को बनाये रखने में सहायक होती हैं.उन्होंने बताया कि ढैचा जैसी फसलें 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं और उन्हें जुताई कर खेत में मिला देने से मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार होता है. यह आगामी खरीफ फसलों के लिए खेत को उपजाऊ बनाता है.