जीत के बाद अध्यक्ष खरगे के पास नहीं है संभलने का मौका ,पहली अग्निपरीक्षा, दो राज्यों का चुनाव और वक्त कम
कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे ने जीत लिया है. उन्होंने शशि थरूर को बड़े अंतर से हराया. खड़गे को 7897 वोटों मिले. चुनाव में शशि थरूर को करीब 1072 वोट मिले. जबकि 416 वोट खारिज हुए. 24 साल में यह पहला मौका है जब कोई गैर नेहरू-गांधी परिवार अध्यक्ष बना हो.
यहां तो हर बॉल खेलना होगा कांग्रेस के नए अध्यक्ष खरगे के पास नहीं है संभलने का मौका
कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ और मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया है। 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर कोई नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष खरगे के रूप में चुना गया है। खरगे को पार्टी की कमान ऐसे वक्त मिली है जब पार्टी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं।
कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनने के बाद क्या कुछ बदलेगा इसको लेकर कई सवाल हैं लेकिन उससे कहीं अधिक मल्लिकार्जुन खरगे के सामने आने वाली चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का जिक्र किया जाए तो कांटों भरा ताज, अग्निपथ यह बिल्कुल सटीक बैठने वाला है। आखिर ऐसा क्यों इसको भी समझना जरूरी है
पहली अग्निपरीक्षा, दो राज्यों का चुनाव और वक्त कम
संभलने का मौका नहीं मिला। भले ही इसका प्रयोग क्रिकेट में अधिक होता है लेकिन यहां भी खरगे के लिए कुछ ऐसा ही है। अध्यक्ष बनने के साथ ही दो राज्य हिमाचल और गुजरात में विधानसभा चुनाव है। हिमाचल प्रदेश की चुनावी तारीख भी आ गई है और संभव है कि दिवाली बाद गुजरात चुनाव की भी तारीख आ जाए। पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस की कई राज्यों में करारी हार हुई है। अभी राजस्थान और छत्तीसगढ़ दो ही राज्य उसके पास बचे हैं। हिमाचल और गुजरात का चुनाव कई मायनों में पार्टी के लिए खास है। यह चुनाव खरगे के लिए भी पहली परीक्षा के समान ही है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सीधी लड़ाई में है और पार्टी बेहतर नतीजे की उम्मीद लगाए बैठी है। ऐसे में नए अध्यक्ष के ऊपर दबाव भी है और तैयारी के लिए वक्त बिल्कुल ही कम।
विपक्ष और पार्टी के भीतर भी चुभते सवालों से होगा सामना
मल्लिकार्जुन खरगे के रूप में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया इसके साथ ही एक सवाल का जवाब तो मिल गया कि कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा। पार्टी के भीतर और बाहर भले ही इस सवाल का जवाब मिल गया लेकिन खरगे के सामने कई चुभते सवाल आने वाले हैं। ऐसा नहीं कि बीजेपी की ओर से ही निशाना साधा जाएगा बल्कि पार्टी के भीतर से भी सवाल उठेंगे। शशि थरूर जो अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल थे और बार-बार वह बदलाव की बात कर रहे थे। चुनाव से पहले भी वह बदलाव की बात करते आए हैं। खरगे के सामने गांधी परिवार के रिमोट कंट्रोल जैसे सवालों का सामना आगे भी करना होगा। पार्टी के भीतर जी-23 के नेता शांत रहेंगे ऐसा कहना गलत होगा। शशि थरूर जो कि चुनाव हार गए हैं उनके सवाल भी सामने होंगे। साथ ही राजस्थान जहां बहुत देर तक शांति की गुंजाइश दिख नहीं रही है ऐसे में यह मामला भी जल्द सामने होगा। इसके अलावा बीजेपी के सवालों की बौछार का सामना भी खरगे को करना होगा।