संसद के इस सत्र की शुरुआत से पूर्व विदेश से कोई ‘चिंगारी’ भड़काने का प्रयास नहीं हुआ: प्रधानमंत्री
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि 2014 के बाद यह पहली बार है जब संसद का सत्र शुरु होने से पहले विदेश से कोई ‘चिंगारी’ भड़काने की कोशिश नहीं की गई।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन मीडिया के समक्ष अपने पारंपरिक संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मैं 2014 से देख रहा हूं कि हर सत्र से पहले शरारत करने के लिए लोग तैयार बैठते थे और यहां उन्हें हवा देने वालों की कोई कमी नहीं है। 10 साल बाद यह पहला सत्र मैं देख रहा हूं, जिसमें किसी भी विदेशी कोने से कोई चिंगारी नहीं भड़काई गई।’’
शनिवार को पेश होने जा रहे, अपनी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट से पूर्व मोदी ने यह प्रार्थना भी की कि आगामी आम बजट के मद्देनजर देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्ग पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने में संसद का यह बजट सत्र देशवासियों में एक नया विश्वास पैदा करेगा और उन्हें नई ऊर्जा देगा।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सर्वांगीण विकास के लिए अपने तीसरे कार्यकाल में मिशन मोड में काम कर रही है। साथ ही उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि नवोन्मेष, समावेश और निवेश ने सरकार के आर्थिक एजेंडे को आकार दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट है। मैं विश्वास से कह सकता हूं कि 2047 में जब आजादी के 100 साल पूरे होंगे, तब तक विकसित भारत का जो संकल्प देश ने लिया है, यह बजट सत्र और यह बजट उसमें एक नया विश्वास पैदा करेगा और नई ऊर्जा का संचार करेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि हम देश की आशाओं-आकांक्षाओं के इस बजट सत्र में खरे उतरेंगे।’’
मीडिया से मुखातिब प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम करके की और बजट सत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं। समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्गीय समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।’’
नवोन्मेष, समावेशिता और निवेश को देश की आर्थिक गतिविधि के रोडमैप का आधार करार देते हुए मोदी ने कहा कि इस सत्र में हमेशा की तरह कई ऐतिहासिक विधेयकों पर चर्चा होगी और व्यापक मंथन के साथ वे राष्ट्र की ताकत बढ़ाने वाले कानून बनेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘विशेषकर नारी शक्ति के गौरव को पुन: प्रस्थापित करना, पंथ संप्रदाय के भेद से मुक्त होकर के हर नारी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, उसको भी समान अधिकार मिले, उस दिशा में इस सत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।’’
‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ के मंत्र पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि तेज गति से विकास हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा बल सुधार पर रहता है, राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर प्रदर्शन करना होता है और जन भागीदारी से बदलाव लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जो 20-25 साल की आयु के नौजवान हैं, वे विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी होने वाले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वे नीति निर्धारण की व्यवस्था में बैठे होंगे और गर्व के साथ आजादी के बाद जो शताब्दी शुरू होगी, उसमें एक विकसित भारत के साथ वे आगे बढ़ेंगे। आज जो हमारे किशोर हैं, हमारी युवा पीढ़ी है, उनके लिए ये बहुत बड़ा तोहफा बनने वाली है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग 1930-1942 में आजादी की जंग में जुट गए थे उसका फल उन्हें 25 साल के बाद नसीब हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के पूर्व के वे 25 साल, आजादी का जश्न मनाने का अवसर बने। वैसे ही इन 25 वर्ष में समृद्ध भारत, विकसित भारत के संकल्प को सिद्धि और सिद्धि से शिखर तक पहुंचाने का देशवासियों का इरादा है।’’
मोदी ने भरोसा जताया कि सत्र के दौरान हर सांसद, विशेषकर युवा ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘विशेषकर जो युवा सांसद हैं, उनके लिए तो सुनहरा अवसर है। क्योंकि वे आज सदन में जितनी जागरुकता, जितनी भागीदारी बढ़ाएंगे और विकसित भारत के जो फल हैं, वे तो उनकी नजर के सामने देखने को मिलने वाले हैं। और इसलिए युवा सांसदों के लिए एक अनमोल अवसर है।’’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार से शुरू हो रहे बजट सत्र की शुरुआत में लोकसभा में एक साथ संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लगातार आठवीं बार आम बजट पेश करेंगी।
बजट सत्र 31 जनवरी से चार अप्रैल तक दो चरणों में आयोजित किया जाएगा। सत्र का पहला भाग 13 फरवरी को समाप्त होगा और दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू होगा।