अभिषेक कुमार
खोदावंदपुर (बेगुसराय)बिहार में दुर्गा पूजा का पर्व काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है माता की आराधना के बाद उनका विधि पूर्वक विसर्जन किया जाता है बिहार के बेगूसराय जिले के खोदावंदपुर प्रखंड स्थित बाड़ा गांव में दुर्गा माता की विसर्जन का अनूठा परंपरा है यहां पर माता रानी को कंधे पर उठाकर विसर्जन के लिए ले जाते हैं
बाड़ा की दुर्गा मंदिर को लेकर स्थानीय लोग बताते हैं कि आज से लगभग 100 वर्षो पूर्व में बाड़ा निवासी परमेश्वर पासवान नाम के एक भगत ने सबसे पहले मूर्ति स्थापना की थी लेकिन आज सार्वजिनक रूप से मनाई जाने लगी है।
आमतौर पर देखा जाता है कि प्रतिमाओं के विसर्जन में ट्रैक्टर ट्रॉली या किसी अन्य वाहनों का सहारा लिया जाता है लेकिन बाड़ा की दुर्गा माता को विदाई के लिए लोगों के कंधे की जरूरत होती है कंधे पर दुर्गा माता के विसर्जन की परंपरा यहां पर कई दशकों से चली आ रही है
हजारों माता के भक्त इस विदाई का हिस्सा बनते हैं विसर्जन से पहले मां प्रतिमा को कंधे पर रखकर माता की डोली को कंधा लगाने वाले अपने आपको काफी सौभाग्यशाली मानते हैं विसर्जन के दौरान भक्तों की आंखों में आंसू देखा जा सकता है इस बार विसर्जन के दौरान लोगों ने नम आंखों से माता से करुणा से निजात दिलाने की प्रार्थना की है
कंधे पर दुर्गा माता की विदाई की परंपरा काफी कम जगह पर है स्थानीय लोगों के अनुसार यह परंपरा शुरू से ऐसे ही माता की विदाई होती आई है आगे भी माता कंधे पर ही विदा होगी विसर्जन की यह परंपरा राज्य में अनूठी मिसाल है