सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला के संस्कृत विभाग द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा और वेदों में निहित श्रेष्ठतम जीवन मूल्य विषय पर ऑनलाईन व्याख्यानमाला का किया गया आयोजन
राष्ट्र संवाद संवाददाता
सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला के संस्कृत विभाग द्वारा 25 अप्रैल को अपराह्न तीन बजे से एक दिवसीय ऑनलाईन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. भारतीय ज्ञान परम्परा और वेदों में निहित श्रेष्ठतम जीवन मूल्य विषय पर आयोजित इस व्याख्यानमाला में डॉ शैलेश कुमार मिश्र ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा किए. भारतीय ज्ञान परंपरा और वेदों में निहित श्रेष्ठतम जीवन मूल्य विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि भारत वर्ष में विभिन्न देशों के विद्यार्थी यहां के विश्वविद्यालयों में ज्ञान प्राप्त करने आते थे. भारतीय ज्ञान परम्परा का उद्देश्य सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना नहीं था इसका उद्देश्य जीवन जीने की कला सीखना था. यहां जीवन का लक्ष्य या उद्देश्य था आनंद की प्राप्ति. डॉ शैलेश ने कहा कि आनंद से ही जीवन की उत्पत्ति होती है और अंततः वहीं समाप्त हो जाती है. उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रक्रिया में विद्याअर्जन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि ज्ञान डिग्री पर आश्रित नहीं है हमें जीवन मूल्यों की रक्षा करनी होगी. भारतीय ज्ञान परम्परा विशाल और प्राचीन है जिसे वर्षों से सहेजने का कार्य संस्कृत भाषा ने किया है. वेदों के रूप में भारतीय ज्ञान परम्परा को सुरक्षित रखा गया. वेदों को संस्कृत भाषा में ही सस्वर पाठ कर हजारों वर्षों तक सुरक्षित रखा गया. डॉ शैलेश ने बताया कि गुरू से प्राप्त शिक्षा ऋण को चुकाने के लिए व्यक्ति अगली पीढी को शिक्षित करके ही गुरू ऋण से मुक्त हो सकता था. भाषा विज्ञान के संबंध में किए जा रहे शोधों पर डॉ शैलेश ने कहा कि नई चिंतनधारा के लेाग शोध के लिए संस्कृत को ही आधार बना रहे है. उन्होंने पाणिनि, पतंजलि तथा चरक और सुश्रुत आदि का उल्लेख करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा के बारे में विस्तार से बताया. इन्होंने मूलाधार चक्र के बारे में भी गहन जानकारी दी तथा वाणी के सभी स्तरों की चर्चा की. भाषा विज्ञान के संबंध में ऋषियों द्वारा किए गए चिंतन को वर्तमान चिंतन से जोड़ते हुए बताया कि यह वेदों से ही लिया गया है. श्रुति के माध्यम से इस परंपरा को जीवित रखा गया बाद में इसे ब्रह्मी, खरोष्ठी तथा अन्य लिपियों में संरक्षित किया गया.
सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ गुलाब सिंह आजाद ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि लगातार इस विषय पर सुनने की इच्छा हो रही है. जीवन के सभी क्षेत्रों में संस्कृत की महत्ता रही है. वेद, पुराण और उपनिष्द सभी मानवीय मूल्यों के संरक्षण पर बल देते हैं. यम, नियम के बिना जीवन में किसी चीज की महत्ता नहीं है. कार्यक्रम की शुरूआत वैदिक मंगलाचरण से की गई. संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ सैकत चक्रवर्ती तथा संगीत विभाग की अध्यक्षा डॉ संगीता चौधरी ने लौकिक मंगलाचरण किया. इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ अखिलेश कंचन सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया तथा संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापक कुमारी निकिता ने कार्यक्रम का संचालन किया.