मेघालय में हनीमून का रहस्य: हसीन कल्पना का एक भयावह यथार्थ
देवानंद सिंह
भारत का उत्तर-पूर्वी इलाका अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली और शांति के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटन की दृष्टि से यह क्षेत्र हनीमून मनाने वाले नवविवाहितों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनता जा रहा है, लेकिन इसी हसीन कल्पना को एक भयावह यथार्थ में बदल देने वाला मामला हाल ही में सामने आया है, जिसने न सिर्फ एक नवविवाहित जोड़े के सपनों को रौंद डाला, बल्कि सुरक्षा, पुलिस प्रणाली और पर्यटन की दृष्टि से कई चिंताजनक प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
इंदौर के साकार नगर निवासी 29 वर्षीय राजा रघुवंशी और उनकी 27 वर्षीय पत्नी सोनम रघुवंशी 11 मई को विवाह के पवित्र बंधन में बंधे थे। 20 मई को दोनों हनीमून मनाने मेघालय के लिए रवाना हुए, लेकिन 23 मई से वे दोनों रहस्यमय ढंग से लापता हो गए। इस दुखद गाथा की परिणति 2 जून को तब हुई, जब राजा रघुवंशी का शव ईस्ट खासी हिल्स जिले के वेइसाडोंग फ़ॉल्स के पास 150 फीट गहरी खाई में बरामद किया गया। सोनम का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है, और पूरा मामला हत्या, अपहरण तथा लापरवाह जांच की आशंका के बीच उलझा हुआ है।
मेघालय पहुंचने के बाद राजा और सोनम आखिरी बार 22 मई को नोंग्रियाट में शिपारा होमस्टे से चेकआउट करते देखे गए थे। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार 23 मई को उनकी स्कूटी मावक्मा गांव में कुछ समय के लिए रुकी और फिर लावारिस हालत में सोहरारिम में पाई गई। राजा का शव 15 किलोमीटर दूर खाई में बरामद किया गया। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक सुखद यात्रा अचानक मौत और रहस्य में तब्दील हो गई? राजा की मां उमा रघुवंशी ने आखिरी बार सोनम से बात की थी, जब वह जंगल में घूमने जाने की जानकारी दे रही थीं और व्रत के दौरान खाने को लेकर कुछ चिंता जता रही थीं। इसके बाद दोनों से संपर्क टूट गया। इस आखिरी बातचीत में कोई तनाव या झगड़े का संकेत नहीं था, जिससे यह बात पुष्ट होती है कि मामला अचानक और बाहरी कारणों से उत्पन्न हुआ।
मेघालय पुलिस ने पुष्टि की है कि राजा की हत्या धारदार हथियार ‘दाओ’ से की गई है, जो कि एक स्थानीय पारंपरिक हथियार है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हत्या है। शव के पास से एक खून से सना हुआ रेनकोट भी बरामद हुआ है, जो संभवतः सोनम का हो सकता है, लेकिन पुलिस अभी तक इस बात को पुष्ट नहीं कर पाई है। अब सवाल उठता है कि राजा और सोनम को किसने, क्यों और कैसे निशाना बनाया? पुलिस को अब तक कोई चश्मदीद नहीं मिला है, न ही किसी संदिग्ध की गिरफ्तारी हुई है। क्या यह कोई स्थानीय अपराध था? क्या यह पर्यटकों को लूटने या नुकसान पहुंचाने वाली गिरोह की करतूत है? या फिर कोई ऐसा पहलू है, जो अभी तक जांच के दायरे में नहीं आया है?
राजा के बड़े भाई सचिन रघुवंशी ने यह साफ कहा है कि यह मामला सिर्फ स्थानीय जांच का विषय नहीं है। उन्होंने इस घटना में अपहरण और सुनियोजित हत्या की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। उनका तर्क है कि यह घटना पहली बार मेघालय जैसे शांतिप्रिय राज्य में नहीं हुई है, जहां पर्यटकों को निशाना बनाया गया हो। वह सवाल उठाते हैं कि इंदौर से आए दो नवविवाहित किसी से न दुश्मनी रखते थे, न झगड़ा। ऐसे में, अगर वे जंगलों में अचानक लापता हो जाते हैं और एक की हत्या हो जाती है, तो यह किसी सामान्य दुर्घटना या गलतफहमी का मामला नहीं हो सकता।
परिजनों ने यह आरोप भी लगाया कि मेघालय पुलिस ने मामले को शुरू में गंभीरता से नहीं लिया। अगर, समय रहते तलाशी अभियान तेज़ किया जाता और तकनीकी सहायता जैसे ड्रोन, जीपीएस रिकॉर्डिंग, और मोबाइल ट्रैकिंग तुरंत सक्रिय होती, तो शायद राजा को बचाया जा सकता था या कम से कम सोनम का कोई सुराग अब तक मिल जाता, हालांकि पुलिस ने बाद में ड्रोन की मदद से शव को ढूंढा, लेकिन जंगलों और खाइयों वाले 150 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चल रही तलाश को लेकर अब भी कई कमियां उजागर हो रही हैं। इस पूरे मामले ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में आपात स्थिति से निपटने और पर्यटक सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक अक्षमता को उजागर कर दिया है।मेघालय, खासकर चेरापूंजी, शिलॉन्ग और नोंग्रियाट जैसे क्षेत्रों को प्राकृतिक पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान प्राप्त है। नोंग्रियाट का जीवित रूट ब्रिज, मावसिनराम की वर्षा और वेइसाडोंग फॉल्स जैसे स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, लेकिन जब ऐसे स्थानों पर इस तरह की घटनाएं होती हैं, तो उनकी छवि पर गहरा असर पड़ता है। इस घटना ने न सिर्फ पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, बल्कि राज्य सरकार और पर्यटन विभाग के लिए यह एक चेतावनी है कि अगर, ऐसे मामलों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई नहीं होती, तो पर्यटन क्षेत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सोनम कहां हैं? क्या वे जीवित हैं और किसी कारणवश सामने नहीं आ पा रहीं? क्या वे भी किसी हमले का शिकार हुईं? या फिर वे खुद इस रहस्य का हिस्सा हैं? ये सवाल न केवल पुलिस, बल्कि पूरे देश को मथ रहे हैं। अगर सोनम जीवित हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द तलाशने की आवश्यकता है, लेकिन अगर नहीं, तो यह समझना आवश्यक होगा कि उनका क्या हुआ, ताकि इस भयावह अध्याय का अंत किसी निष्कर्ष तक पहुंचे।
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों की सुरक्षा और आंतरिक पर्यटन स्थलों की निगरानी व्यवस्था की असफलता का प्रतीक भी है। क्या भारत जैसे देश, जो “अतिथि देवो भव” का नारा देता है, अपने ही नागरिकों को सुरक्षित यात्रा और विश्राम का माहौल देने में सक्षम है? राजा और सोनम की घटना ने उत्तर-पूर्व के राज्यों के प्रति आम नागरिकों की धारणा को झकझोर कर रख दिया है। पहले ही भौगोलिक और भाषाई दूरी के कारण यह क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से कम जुड़ा हुआ है, और अब ऐसी घटनाएं लोगों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर रही हैं।
कुल मिलाकर, राजा रघुवंशी की हत्या और सोनम की गुमशुदगी कोई सामान्य घटना नहीं है। यह एक क्रूर, रहस्यमयी और अव्यवस्था से भरी त्रासदी है, जो भारतीय पुलिस प्रणाली, राज्य सरकारों की सतर्कता और नागरिकों के बुनियादी अधिकारों पर सवाल उठाती है। इस मामले की निष्पक्ष, गहन और केंद्र स्तर पर जांच आवश्यक है, और यह तभी संभव है जब राज्य सरकार सीबीआई या किसी उच्च-स्तरीय स्वतंत्र जांच एजेंसी को जांच सौंपे। साथ ही, यह आवश्यक है कि ऐसे पर्यटन स्थलों पर स्थानीय प्रशासन, ट्रैवल एजेंसियों और होमस्टे मालिकों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। राजा के परिवार ने अपना बेटा खोया है और अब बहू की तलाश में हर दिन उनकी पीड़ा और बढ़ रही है। इस घटना के दोषियों को सजा मिलना न्याय का पहला कदम होगा, लेकिन इससे भी जरूरी है कि ऐसे हादसे दोहराए न जाएं।


