वक्फ संशोधन विधेयक पर सोनिया की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण, संसदीय मर्यादा के अनुरूप नहीं : बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी का नाम लिए बिना कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर उनकी टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण और संसदीय मर्यादा के अनुरूप नहीं है। राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी ने आरोप लगाया था कि वक्फ (संशोधन) विधेयक,2025 को जबरन पारित कराया गया और यह विधेयक संविधान पर सरेआम हमला है।
बजट सत्र के आखिरी दिन संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा सोनिया की टिप्पणी का उल्लेख किए जाने के बाद बिरला ने यह भी कहा कि एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा लोकसभा की कार्यवाही पर प्रश्न उठाना उचित नहीं है।
कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की प्रमुख सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को सरकार पर वक्फ (संशोधन) विधेयक को मनमाने ढंग से पारित कराने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि यह विधेयक संविधान पर सरेआम हमला है तथा यह समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में बनाए रखने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने संसद भवन परिसर में संपन्न सीपीपी की बैठक में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ संबंधी विधेयक, निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली, भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक स्थिति, संसद में गतिरोध, विपक्ष के नेताओं को ‘‘बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने’’ और कई अन्य विषयों को लेकर सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला किया था।
रीजीजू ने लोकसभा में कहा, ‘‘एस्मा अधिनियम, 1981 पर 16 घंटे 51 मिनट चर्चा हुई थी। यह रिकॉर्ड तोड़ते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर 17 घंटे दो मिनट चर्चा हुई। यह ऐतिहासिक है। इस तरह सबसे लंबी चर्चा हुई।
उन्होंने सोनिया गांधी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘कई सांसदों ने मुझे बताया कि दूसरे सदन की एक सदस्य ने यह आरोप लगाया कि चर्चा के बिना ‘बुलडोज’ करके विधेयक पारित किया गया। नियम और प्रक्रिया को पालन करके विधेयक पारित किया गया। इसकी तारीफ करने के बजाय यह कहा गया कि ‘बुलडोज’ करके विधेयक पारित किया गया। रीजीजू ने लोकसभा अध्यक्ष से इस पर एक व्यवस्था देने का आग्रह किया।
बिरला ने कहा, ‘‘संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य हैं, जो इस सदन की सदस्य रह चुकी हैं और अब दूसरे सदन की सदस्य हैं, उनके द्वारा संसद परिसर में यह बयान दिया गया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक जबरदस्ती पारित कराया गया। वक्फ संशोधन विधेयक पर सदन द्वारा 13 घंटे और 53 मिनट चर्चा की गई। जिसमें सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे। इस विधेयक पर तीन बार मत विभाजन हुआ। उन्होंने कहा कि अत: यह विधेयक सदन के नियमों के अनुसार पारित किया गया।
बिरला ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन की कार्यवाही पर एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा प्रश्न उठा गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह उचित नहीं है और संसदीय मर्यादा के अनुरूप भी नहीं है। कांग्रेस के सदस्यों ने भी अपनी बात रखने का आग्रह करते हुए सदन में हंगामा किया। इसके कुछ मिनट बाद ही बिरला ने सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।