सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन ने बस्ती बचाने के लिए दिया था धर्म परिवर्तन करने का लालच, पीड़ित ने बताया सच
कानपुर। कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त इफ्तिखारुद्दीन
द्वारा कथित तौर पर अपने सरकारी आवास पर धर्मांतरण के फायदे गिनाने के मामले में योगी सरकार एक्शन में गई है। सीएम योगी ने इस मामले में एसआईटी जांच के आदेश देते हुए आगामी सात दिन के अंदर रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। इस मामले में कुछ वो चेहरे भी सामने आए हैं, जिन पर जबरन दबाव बनाकर उन्हें धर्मांतरण के लिए उकसाया जा रहा था। बताया यहां तक जा रहा है कि पूर्व मंडलायुक्त इफ्तिखारुद्दीन उनकी बात नहीं मानने की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे थे। पीड़ित निर्मल त्यागी नाम के एक शख्स ने बताया कि इफ्तिखारुद्दीन ने उन सभी को इस्लाम अपनाने के लिए कहा और उन्हें कानपुर के तमाम मदरसों से मदद मिलने की बात भी कही, पर उन्होंने उनकी इस बात को मानने से इनकार कर दिया और धर्म परिवर्तन करने के लिए भी मना कर दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि इफ्तिखारूद्दीन का जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह उस वक्त का बताया जा रहा है, जब वह कानपुर के मंडलायुक्त थे और वह वर्तमान में यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन के पद पर तैनात हैं। वायरल वीडियो कानपुर स्थित उनके सरकारी आवास का बताया जा रहा है। जिन लोगों पर धर्मान्तरण का दबाव बनाया गया, उन लोगों द्वारा बताया गया है कि छह साल पहले कानपुर मेट्रो के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा था। उसी सिलसिले में बस्ती वाले सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन से मिलने गए थे। इस दौरान इफ्तिखारुद्दीन ने बस्ती बचाने के लिए सीधे धर्म परिवर्तन करने का लालच दिया था। उनकी तरफ से धमकी भी दी गई कि अब आपको कोई नहीं बचा सकता है। यदि, आपने इस बारे में किसी को कुछ बताया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। फिलहाल, योगी सरकार इस मामले में गंभीर है। डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा और सदस्य एडीजी जोन भानु भास्कर गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे हैं, जिन्होंने मामले में जांच शुरू कर दी है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार सात दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।