साहित्यकार मुकेश रंजन की बहुप्रतीक्षित अप्रतिम का लोकार्पण सम्पन्न मुकेश ने सबका जताया आभार
मुकेश ने फेसबुक पेज पर जताया आभार..
बहुप्रतीक्षित अप्रतिम लोकार्पण सम्पन्न हुआ । कार्यदिवस के दिन भी तकरीबन पैंतीस लोगों की उपस्थिति मन को छू गई । अध्यक्ष के रूप में आदरणीय दिनेश जी के आशीर्वचन.. मुख्य अतिथि के रूप में प्रसेनजित जी का वक्तव्य, सम्मानित अतिथि के रुप में इन्द्रदेव जी का वक्तव्य, और.. और.. और.. अनिता जी का संचालन.. इस पर अब क्या कहा जाए.. उमा सिंह, कल्याणी कबीर, संध्या सिन्हा की समृद्ध परंपरा में कल एक और नाम जुड़ा.. अनिता सिंह का.. कविता पत्रिका सम्मान की श्रृंखला में मामचंद अग्रवाल, राजमंगल पांडेय और अनिता सिंह के बाद कल एक और नया नाम जुड़ा नीता सागर जी का ।
परसुडीह जैसे सुदूर इलाके से आनेवालीं गैर हिंदी भाषी नीता जी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं । आनेवाले दिनों में इस श्रृंखला में कई और नाम जुड़ेंगे.. कल के कार्यक्रम में अत्यधिक व्यस्तता की वजह से बहुत से लोगों को बुला नहीं पाया, फिर प्रयाग कक्ष का सभागार भी अधिकतम चालीस पचास लोगों के लिए ही है । फिर भी जिनको नहीं कह पाया उनसे करबद्ध क्षमा प्रार्थना.. और जो अपनी तमाम व्यस्ताओं के बीच आ पाए उनको अशेष आभार, और जो अपनी अति व्यस्तता की वजह से नहीं आ पाए, मगर उनकी दुआएं मेरे साथ रहीं, उनका भी आभार.. मैं एक आम घर का आम सा युवा हूँ..
पता नहीं इस चवालीस साल की उम्र में मुझे अपने आप को युवा कहना चाहिए भी या नहीं.. परसुडीह बाजार में अहले सुबह आलू टमाटर, परवल भिंडी की तौल मोल करते मिल जाऊंगा आपको मैं.. और सिक्योरिटी की बहुत मामूली सी नॉकरी.. पंद्रह को तनख्वाह मिली तो पीजेपी सिनेपोलिस में बढ़िया सी पिक्चर या चिकन चिल्ली.. बस इससे ज्यादा कुछ नहीं ज़िंदगी मेरी..
पढ़ने का शौक बचपन से रहा, लिखने का सोशल मीडिया से जुड़ने के बाद.. मैं कहीं से भी कवि, साहित्यकार, कुछ भी नहीं.. मगर फिर भी मेरे एक बुलावे पर आप सब चले आते हैं, बड़प्पन है आपका.. इससे ज्यादा मैं और क्या कहूँ.. आप सब का ये स्नेह, आशीर्वाद युहीं बना रहे, अशेष आभार..