कोलकाता चिकित्सक मामला : न्यायालय ने राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने के लिए 10 सदस्यीय कार्यबल गठित किया
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता में एक चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद, चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करने के वास्ते मंगलवार को 10 सदस्यीय कार्य बल गठित किया है।
यह कार्यबल तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंपेगा।
न्यायालय ने कहा कि कामकाजी परिस्थितियों ने चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा का खतरा बढ़ा दिया है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिला चिकित्सकों की रक्षा करना राष्ट्रीय हित का मामला है और समानता का सिद्धांत इससे कम की अपेक्षा नहीं करता है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमीनी स्तर पर चीजें बदलने के लिए देश एक और दुष्कर्म की घटना का इंतजार नहीं कर सकता।
उसने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून हैं लेकिन उनमें व्यवस्थागत मुद्दों का समाधान नहीं है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कार्य बल के 10 सदस्यों में सर्जन वाइस एडमिरल आर के सरियां, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉ. रेड्डी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, निमहंस, बेंगलुरु की डॉ. प्रतिमा मूर्ति शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव और गृह सचिव राष्ट्रीय कार्यबल के पदेन सदस्य होंगे।
उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता में चिकित्सक के बलात्कार-हत्या मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को अपनी जांच पर 22 अगस्त तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और पश्चिम बंगाल को आरजी कर अस्पताल में भीड़ के हमले की जांच की प्रगति पर 22 अगस्त तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में परास्नातक चिकित्सक के बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में देशभर में जारी चिकित्सकों की हड़ताल के बीच इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।