सरपंच अब नहीं बना पाएंगे वंशावली पंचायत सचिव पंचायत में एक पारिवारिक पंजी का संधारण कर आवश्यक विवरण दर्ज करेंगे।
बिहार ब्यूरो चीफ चन्दन शर्मा की रिपोर्ट
पटना ,बिहार :बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी आलोक कुमार ने बिहार के सभी जिला पदाधिकारी को पत्र भेजकर अपने पत्र में बताया है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 90 से धारा 120 तक में ग्राम कचहरी एवं उसके न्यायपीठों की स्थापना, शक्तियां, कर्त्तव्य और प्रक्रिया के संबंध में प्रावधान हैं। ग्राम कचहरी का गठन मुख्यतः ग्राम पंचायत स्तर पर उठने वाले छोटे-मोटे विवादों का सौहार्द्रपूर्ण निपटारा करने के उद्देश्य से किया गया है। ग्राम कचहरी को भारतीय दंड संहिता, 1860, पशु अतिचार अधिनियम, 1871एवं बंगाल लोक द्युत अधिनियम, 1867 की कतिपय धाराओं के अधीन किये गये अपराधों के विचारण का अधिकार है। समझौता नहीं होने की स्थिति में ग्राम कचहरी किसी फौजदारी मामले में अभियुक्त को अधिकतम एक हजार रूपये तक का अर्थदंड लगा सकती है। दीवानी मामलों में उसे दस हजार रूपये तक के मूल्य की संपत्ति से संबंधित विवादों को सुनने एवं डिक्री देने की अधिकारिता प्राप्त है। ग्राम कचहरी के कार्यों के संचालन हेतु बिहार ग्राम कचहरी संचालन
नियमावली, 2007 गठित है।बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 एवं बिहार ग्राम कचहरी संचालन नियमावली,2007 में विहित फौजदारी एवं दीवानी मामलों को छोड़कर अन्य किसी तरह के कार्य करने कीअधिकारिता ग्राम कचहरी या उसके सरपंच को नहीं सौंपी गयी है।उल्लेखनीय है कि बिहार ग्राम पंचायत ( सचिव की नियुक्ति, अधिकार एवं कर्त्तव्य) नियमावली, 2011 के नियम – 10 ( 21 ) में प्रावधान है कि पंचायत सचिव पंचायत में एक पारिवारिक पंजी का संधारण करेगा जिसमें पंचायत के प्रत्येक व्यक्ति के संबंध में आवश्यक विवरण दर्ज करेगा। आवश्यकता पड़ने पर यह पारिवारिक पंजी वंशावली बनाने का एक आधार बन सकती है, पर यह जिम्मेवारी ग्राम पंचायत सचिव की है न कि ग्राम कचहरी के सरपंच की है।उक्त से स्पष्ट है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 या बिहार ग्राम कचहरी संचालन नियमावली, 2007 के अंतर्गत सरपंचों को वंशावली बनाने का कोई अधिकार नहीं सौंपा गया है।