वाकई डर गया हूँ – क्या हो गया इस प्रकृति को ?
संजय राय
मैंने पिछले संपादकीय में कोरोना कोविद 19 के बारे मे लिखा था कि डर गया हूँ मैं शासन की,सरकारों की ब्यवस्था क्या है इंसानों के जीवन को बचाने में ।अब बात करता हूँ इस कोरोना से बचाव के लिए टीका की । पहले लोगों को टीका लगाने के लिए मिन्नत करनी पड़ती थी लोगों के मन मे उसके ट्रायल को ले के बहुत सी बातें, अफवाहें थी जो अब दिमाग से निकल गई है लोगों ने रजिस्ट्रेशन भी लाखों की संख्या में करवाये हैं आज टीका की कमी हो गई है इतना प्रोडक्सन नही जितनी डिमांड आ गई है कुछ राज्यों में इस टीका के मिसयूज और बेकार किये जाने की खबरें आ रही बिना कोल्ड स्टोरेज की ब्यवस्था किये गर्मी में पड़े रहने से टीका खराब हुआ केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई है ।अभी इसका टीका कितना कारगर है इस पर भी अध्ययन चल रहा है ।टीका लगाने के बाद भी कोरोना होगा ये निश्चित है तेज बुखार एलर्जी होगी घबराने की बात नही है । लेकिन कोरोना के प्राणघातक असर से लोग बच जाएंगे। इस लिए लोगों को टीका अवश्य लगवाना चाहिए । आज भी ऑक्सीजन को ले के , स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार को ले के बहुत सी बातें लोग कर रहे ।एक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने फ़ौज की सेवा लेने की बात कही है कि कही लूट मार न हो जाये ।जमाखोरी तो हो ही रही है केंद्र के मंत्रियों को कोई पावर नही दी है सांसदों की निधि को खर्च करने की शक्ति खत्म है वे क्या करें ? बहुत ही बुरी दसा है देश की लोग इस वक्त बेहद परेशान हैं ।उत्तरप्रदेश में तो किसी अस्पताल में किसी चीज की कमी की बात लिखते ,वीडियो बना के डालने पे मुकदमा दर्ज हो रहा । अस्पतालों में बेड के लिए लोग अब भी परेशान हैं ऑक्सीजन की जमाखोरी खूब हो रही हैं। मध्यप्रदेश में तो एक पुलिस अधिकारी के पति ने इलाज औरबिस्तर न मिलने से सड़क पर ही दम तोड़ दिया ।पत्रकार रोज ही मर रहे आखिर वे भी इंसान हैं । सभी फ्रंट वारियर्स को जो इस आपदा में किसी भी तरह की मदद कर रहे हैं उन्हें सलाम ।
कोरोना संक्रमण के बाद ठीक होने वाले लोगों पर एक नए संक्रमण होने की सूचना मिल रही है उस पर भी बात हो एक महामारी से बच नही पा रहे जो बच गए वे फिर दूसरे के चपेट में आ रहे बहुत भयानक स्थिति हो गई है कहीं ये कोई रासायनिक जैविक युद्ध तो नही चल रहा जिसमे लोगो को मारा जा रहा हैI
जानकारी मिली है कि कोविड-19 से ठीक हुए व्यक्तियों में म्यूकरमाइकोसिस या ‘ब्लैक फंगस’ के संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बीच गुजरात सरकार ने ऐसे रोगियों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड स्थापित करना शुरू कर दिया है और इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा की 5,000 शीशियों की खरीद की है। गुजरात में म्यूकरमाइकोसिस के अब तक 100 से अधिक मामले सामने आये हैं। यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवक संक्रमण है, जिसके चलते कई रोगी दृष्टहीन हो गए हैं और इससे अन्य गंभीर दिक्कतें भी उत्पन्न हो रही हैं। राज्य सरकार के अनुसार वर्तमान में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 19 रोगियों का इसके लिए इलाज किया जा रहा है।
गुजरात राज्य सरकार के अनुसार ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 60 बिस्तर वाले दो अलग समर्पित वार्ड स्थापित किए गए हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री मंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में कोविड-19 स्थिति पर कोर समिति की एक बैठक के बाद सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर, जामनगर और अन्य स्थानों पर भी इसी तरह की सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में स्थापित की जाएंगी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इसके इलाज के लिए 3.12 करोड़ रुपये की लागत से एम्फोटेरिसिन बी 50 मिलीग्राम इंजेक्शन की 5,000 शीशियां खरीदी हैं।
महाराष्ट्र में कोविड-19 से ठीक हुए कम से कम आठ लोगों के एक आंख की दृष्टि म्यूकरमाइकोसिस के चलते चली गई और 200 अन्य का इलाज किया जा रहा है। यह जानकारी डॉ. तात्याराव लहाने ने शनिवार को दी जो राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख हैं। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के रोगियों में म्यूकरमाइकोसिस रोग पाया जा रहा है।
उन्होंने कहा था, ”संक्रमण म्यूकर नामक कवक के कारण होता है, जो गीली सतहों पर पाया जाता है। काफी हद तक यह उन लोगों को हो रहा है, जिन्हें मधुमेह है। यह उन लोगों में बहुत ही असामान्य है जिन्हें मधुमेह नहीं हैं। कोई बड़ा प्रकोप नहीं है और हम इसकी निगरानी कर रहे हैं।” डॉ. पॉल के अनुसार म्यूकरमाइकोसिस अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों पर हमला करता है। यदि मधुमेह का कोई रोगी इम्युनो-सप्रेसिव दवाइयां, स्टेरॉयड ले रहा है, या उसे कैंसर है, तो म्यूकरमाइकोसिस रोग का प्रभाव उस पर अधिक पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के रोगियों में इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है, अगर वे गीली सतहों के संपर्क में आते हैं।
अब इस तरह की खबरें इंसानियत के ऊपर मंडरा रहे खबरों की आने से अब मैं बहुत अधिक डरा हुआ हूँ आप लोगों को सतर्क कर रहा हूं कि सब बच के रहें सरकारों के द्वारा जारी की जा रही गाइड लाइन का पालन सख्ती से करने की आदत डाल लें