जमशेदपुर पश्चिम की राजनीति पूरे शबाब पर
रामबाबू ने सरयू पर हमला बोला, कांग्रेस भी बेचैन
शशी भूषण पांडे
जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में इस समय राजनीतिक सरगर्मी पूरे शबाब पर है। महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रामबाबू तिवारी ने मंत्री सरयू राय के खिलाफ अचानक मोर्चा खोलकर भाजपा की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने क्षेत्र के गली चौराहे और मुहल्लों का दौरा कर स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने को पूरी तरह तैयार हैं। इससे यहां से कांग्रेस के स्वाभाविक उम्मीदवार माने जा रहे पूर्व मंत्री और एक बार के विधायक रहे बन्ना गुप्ता के लिए परेशानी खड़ी हो गई है।
जहां तक क्षेत्र में भाजपा की राजनीति का सवाल है तो यहां के वर्तमान विधायक और झारखंड के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय पिछला विधानसभा चुनाव जितने के बाद से ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। वे अक्सर मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के कार्यों पर सवालिया निशान खड़े करते हैं। यहां तक कि वह मुख्यमंत्री को जेल भिजवाने की धमकी भी दे चुके हैं। अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते रहने के बावजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास या भाजपा के किसी अन्य बड़े नेता ने सार्वजनिक तौर पर उन्हें कुछ नहीं कहा। इससे उत्साहित सरजू राय राजनीति की मर्यादा को तार-तार करते रहे।
आप भी आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रघुवर के खास समर्थक माने जाने वाले रामबाबू तिवारी ने उन पर करारा हमला बोला है। वह भी ऐसे समय में जब भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रांची में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने आए हुए थे। रामबाबू तिवारी मंत्री सरयू राय की जगह यहां से टिकट की अपनी दावेदारी भी पेश कर रहे हैं।
रामबाबू तिवारी के हमले से तिलमिलाये सरयू राय ने बिना नाम लिए तिवारी को एससीसीएन डॉग तक कह डाला। तिवारी ने भी उन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर आवारा कुत्ता कहा। मतलब साफ है कि यहां यहां की राजनीतिक का स्तर अपनी सभी मर्यादाओं को तोड़ चुका है। रामबाबू पूरे जोर-शोर से सरयू राय को सबक सिखाने में लग गए हैं। सरजू राय पर रामबाबू तिवारी का हमला कोई नया नहीं है। वह पहले भी उनके खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं। पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री रघुवर दास हमेशा की तरह खामोश है। देखना है कि तिवारी का हमला जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र की राजनीति को कौन सा नया मोड़ देती है।
दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना से बन्ना गुप्ता भी बेचैन है। लेकिन बन्ना जमीन के नेता हैं और यूं ही चुप बैठने वाले नहीं। अगर कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह अन्य विकल्प भी आजमा सकते हैं। ऐसे में यहां का चुनावी समीकरण जटिल हो जाएगा। जिसे सुलझाना भाजपा और कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं