दावों-प्रतिदावों का दौर और वास्तविक परिणाम
देवानंद सिंह
झारखंड में विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुका है। कल चुनाव के परिणाम घोषित हो जाएंगे। इस बीच दावों-प्रतिदावों का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी का दावा है कि वह 50-55 सीटें पार कर लेगी, जबकि गठबंधन भी बहुमत हासिल करने का दावा कर रहा है।
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा, यह झारखंड के इतिहास की सबसे मजबूत सरकार होगी। लोग इस सरकार से तंग आ चुके थे। जेएमएम की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। सीएम 5 महीने जेल गए। जनादेश हमारे पक्ष में है। वहीं, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा, एग्जिट पोल अपना काम कर रहे हैं। हम हर विधानसभा क्षेत्र में गए हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है। बेरोजगार लोग निराश हैं। छात्र निराश हैं, इसलिए बदलाव सुनिश्चित है। इसी तरह की बात जामताड़ा सीट से भाजपा की उम्मीदवार सीता सोरेन भी बोलीं। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जनता ने झामुमो और ‘इंडिया गठबंधन’ को अपना आशीर्वाद दिया है। उन्होंने कहा, झारखंड की पावन धरती पर लोकतंत्र का यह महापर्व अद्भुत रहा। दोनों चरणों में राज्य की जनता ने अपनी आकांक्षाओं और आशाओं को मतदान के माध्यम से अभिव्यक्त किया है।
फिलहाल, झारखंड की सत्ता इवीएम में लॉक है। पार्टियों द्वारा लगाए जा रहे दावे एक तरह कयास हैं, असल में सरकार किसकी बनेगी, यह कल यानी शनिवार को ही तय हो पाएगा। अगर, चुनाव पर नजर डालें तो झारखंड विधानसभा के चुनाव में दो ध्रुवों के बीच लड़ाई देखने को मिली। वोटरों की गोलबंदी भी इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच रही, यही कारण रहा है कि आठ से 10 सीटों पर टाइट फाइट मानी जा रही है। यह मानकर चला जा रहा है कि विधानसभा में इस बार इंडिया और एनडीए दोनों ही सत्ता के करीब होंगे। कुर्सी तक का रास्ता इन्हीं टाइट फाइटवाली आठ से 10 सीटें तय करेंगी। वहीं, इस चुनाव में हेमंत सोरेन सरकार की योजनाओं का अंडर करंट की तलाश भी हो रही है। माना जा रहा है कि कोल्हान, संताल परगना और दूसरे प्रमंडलों के ग्रामीण इलाके में वोट बढ़े हैं, इसमें महिलाओं के वोट को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मंईयां सम्मान योजना, बिजली माफी योजना, पुरानी पेंशन स्कीम जैसी योजनाओं को हेमंत सोरेन का ‘मास्टर स्ट्रोक’ माना गया, लेकिन चुनाव परिणाम में इसका कितना असर देखने को मिलेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
दूसरे दौर में प्रदेश के 12 जिलों की 38 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई और इन सीटों पर लगभग 67.59 प्रतिशत मतदान हुआ, जहां 2019 में 66.94 प्रतिशत मतदान हुआ था, यानी इस बार मतदान का प्रतिशत थोड़ा बढ़ा है।
अगर, इस चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को एंटी इंकबैंसी सामना करना पड़ा होगा तो गठबंधन का ग्राफ घट सकता है, जिसका बीजेपी को फायदा होगा। ऐसे में, कांग्रेस के प्रदर्शन के भरोसे हेमंत सोरेन सरकार की किस्मत तय होगी, जो पिछले चुनाव में 16 सीटें लेकर आयी थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा। अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। अगर, कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होता है तो इसका सीधा असर इंडिया गठबंधन पर पड़ेगा। माले और राजद अपना पिछला रिकॉर्ड सुधार सकते हैं। इधर, भाजपा पूरी तरह कोल्हान और संताल परगना के भरोसे है। कोल्हान में भाजपा चार से पांच सीट मान कर चल रही है। पिछली बार कोल्हान की इन सीटों पर खाता भी नहीं खुला था। वहीं, संताल में भाजपा पिछली बार चार सीटें लेकर आयी थी।
यहां भी नेताओं को भरोसा है कि बांग्लादेशी घुसपैठ वाले नैरेटिव से हालात बदल जाएंगे। चुनाव का मिजाज ऐसा रहा, तो ही भाजपा सत्ता की ओर रुख करेगी, लेकिन झामुमो सभी आदिवासी रिजर्व सीटों पर पहले जैसी गोलबंदी मानकर चल रहा है। अगर, झामुमो के वोटर इस क्षेत्र में इंटैक्ट रहे, तो निश्चित रूप से झामुमो की राह आसान होगी। झारखंड राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ था और तब से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता परिवर्तन की घटनाएं निरंतर होती रही हैं। यहां की राजनीति में कई बड़े और छोटे राजनीतिक दलों का प्रभाव रहा है। इन दलों के बीच हमेशा ही गठबंधन, सत्ता संघर्ष और विपक्षी खेमों के बीच चतुराई से काम करने की परंपरा रही है।
झारखंड की राजनीति में गठबंधन की राजनीति का एक लंबा इतिहास रहा है और इसमें कोई संदेह नहीं कि 2024 के चुनाव के बाद भी गठबंधन की राजनीति अहम भूमिका निभाएगी। बीजेपी, जो केंद्र में मजबूत है और जेजेएम, जो आदिवासी समुदाय में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है, के बीच रस्साकशी का दौर जारी रह सकता है। कांग्रेस और छोटे दल भी इस समीकरण को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 ने राज्य की राजनीति को निश्चित रूप से एक नई दिशा में मोड़ा है, जहां विभिन्न पार्टियां और गठबंधन ने अपने-अपने हितों के लिए भरपूर सक्रियता दिखाई। भले ही, सरकार कोई भी पार्टी बनाए, लेकिन यह भविष्य में राज्य के विकास और राजनीति को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा, क्योंकि राज्य की जनता काफी जागरूक हुई है और वह अब विकासवादी राजनीति को ज्यादा सपोर्ट करती है।