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    Home » बौद्ध धर्म का उदय-प्रसार और बौद्ध स्मारक के संरक्षण की आवश्यकता
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    बौद्ध धर्म का उदय-प्रसार और बौद्ध स्मारक के संरक्षण की आवश्यकता

    News DeskBy News DeskMay 12, 2025No Comments2 Mins Read
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    संजय सोंधी, उपसचिव, भूमि एवं भवन विभाग, दिल्ली सरकार

    छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भगवान बुद्ध ने धार्मिक सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया और निर्वाण (मोक्ष) के लिए अष्टांगिक मार्ग का सिद्धांत प्रतिपादित किया। विभिन्न राजाओं के समर्थन और बौद्ध भिक्षुओं के अटूट समर्पण के कारण बौद्ध धर्म न केवल भारत में, बल्कि मध्य एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी फैल गया। मौर्य राजा अशोक महान ने बौद्ध धर्म को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक समय ऐसा लगता था कि यह वैदिक धर्म को हमेशा के लिए पीछे छोड़ देगा। हालांकि, कुछ कारणों से बौद्ध धर्म का पतन शुरू हुआ। भारत में हूणों ने बौद्ध भिक्षुओं पर क्रूर हमले किए और बड़ी संख्या में भिक्षुओं की हत्या की। बाद में इस्लामी आक्रमणों ने भारत में इस धर्म को लगभग समाप्त कर दिया। आज भारत में बौद्ध अनुयायियों की संख्या कम है। मध्य एशिया में भी यह फल-फूल नहीं सका, लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, जापान और कोरिया में यह अभी भी चमक रहा है।

    भारत में बौद्ध धर्म के कई ऐतिहासिक स्मारक मौजूद हैं, जैसे अजंता, एलोरा, भीमबेटका, सिरपुर, औरंगाबाद, विनायगा, कोल्वी, सांची, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और करले की गुफाएँ और स्तूप। ये स्मारक भारतीय संस्कृति और बौद्ध धर्म के गौरवशाली इतिहास के प्रतीक हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश की स्थिति दयनीय है। जनता में इन स्मारकों के प्रति उदासीनता और रखरखाव की कमी के कारण ये खंडहर बनते जा रहे हैं।

    इन बौद्ध स्मारकों के संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ठोस कदम उठाने चाहिए। इन स्मारकों की मरम्मत, पुनरुद्धार और रखरखाव के लिए विशेष योजनाएँ बनानी होंगी। साथ ही, आम जनता में भारतीय सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक मंचों के माध्यम से बौद्ध धर्म के ऐतिहासिक और दार्शनिक महत्व को प्रचारित किया जाना चाहिए। पर्यटन को बढ़ावा देकर इन स्मारकों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई जा सकती है, जिससे न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

    बौद्ध धर्म ने विश्व को शांति, अहिंसा और करुणा का संदेश दिया। इसके स्मारक केवल पत्थर की संरचनाएँ नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के जीवंत प्रमाण हैं। इनका संरक्षण हमारी साझा जिम्मेदारी है।
    (इस लेख में व्यक्त विचार केवल लेखक के अपने विचार हैं)
    7389254004
    [email protected]

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