आयात शुल्क में कटौती रणनीतिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम
देवानंद सिंह
भारत ने पिछले हफ़्ते मोटरसाइकिलों पर आयात शुल्क में कटौती का ऐलान किया। 1600 सीसी से ज्यादा इंजन वाली हैवीवेट बाइकों पर 50 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी टैरिफ़ कर दिया गया, जबकि छोटी बाइकों पर शुल्क 50 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी कर दिया गया। यह कदम मुख्य रूप से हार्ले डेविडसन जैसी विदेशी मोटरसाइकिल कंपनियों को भारत में प्रवेश करने में मदद करने के उद्देश्य से उठाया गया है। भारत की यह कोशिश व्यापारिक रूप से अमेरिकी दबाव को भी कम करने की है, खासकर तब जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रिश्तों में खटास आ चुकी थी और उनका यह कहना था कि भारत के व्यापारिक रिवाज ‘अस्वीकार्य’ हैं।
दरअसल, भारत ने जिन मोटरसाइकिलों पर आयात शुल्क घटाए हैं, वे उन बाइकों के लिए हैं, जो भारतीय बाजार में विदेशी कंपनियों द्वारा बेची जाती हैं। खासकर,
हार्ले डेविडसन जैसी अमेरिकी कंपनियां, जो भारत के मोटरसाइकिल बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती हैं। इन बाइकों पर पहले 50 फीसदी तक का आयात शुल्क लगता था, जिससे विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल था। भारत ने आयात शुल्क को घटाकर इन कंपनियों को आकर्षित करने की कोशिश की है, ताकि इनका भारतीय बाजार में प्रवेश सुगम हो सके। इसके साथ ही, भारत को यह भी उम्मीद है कि इस कदम से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में सुधार होगा और अमेरिका के सामने व्यापारिक संतुलन बनाए रखने की एक सकारात्मक छवि पेश होगी।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों में कई उतार-चढ़ाव आए। ट्रंप ने लगातार भारत के टैरिफ़ नीतियों की आलोचना की, खासकर हार्ले डेविडसन जैसी बाइकों पर 100 फीसदी शुल्क लगाए जाने को लेकर। ट्रंप ने इसे ‘अस्वीकार्य’ बताया और इसे अपने ‘अनुचित व्यापार प्रथाओं’ के खिलाफ अभियान का हिस्सा बना लिया। इससे पहले भी ट्रंप ने भारत को ‘टैरिफ़ किंग’ और ‘कारोबारी रिश्तों का सबसे ज्यादा दुरुपयोग’ करने वाला देश करार दिया था।
भारत के लिए यह जरूरी था कि वह अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों में सुधार लाए, ताकि ट्रंप द्वारा उठाए गए टैरिफ़ मुद्दे को हल किया जा सके। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत के दौरान भी ट्रंप ने भारत से अधिक हथियार खरीदने की बात की थी और व्यापार संतुलन पर भी जोर दिया था। इस पूरी बातचीत के बाद भारत ने अपने आयात शुल्क में कटौती का कदम उठाया, जिससे ट्रंप के दबाव को कुछ हद तक कम किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते वर्षों से मजबूत रहे हैं। 2023 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर को पार कर चुका था और भारत से अमेरिकी निर्यात 123 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय निर्यात में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि सर्विसेज़ का कारोबार भी 22 फीसदी बढ़ा है। इस बढ़ते व्यापार को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हैं, लेकिन ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत भारत को अपनी नीतियों को और लचीला बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही थी।
भारत ने 1990 और 2000 के दशक में अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोला। पहले भारत एक अत्यधिक संरक्षणवादी देश था, जहां आयात शुल्क 80 फीसदी तक था। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद, भारत ने आयात शुल्क को घटाकर 13 फीसदी कर दिया, जिससे वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने लगी। हालांकि, मोदी सरकार के दौरान ही ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत कुछ उत्पादों पर आयात शुल्क फिर से बढ़ा, जो अन्य देशों की तुलना में ज्यादा था। यह खासतौर पर चीन, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों के लिए चुनौतीपूर्ण था।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी व्यापारिक नीति में बदलाव किए हैं। टैरिफ़ में कटौती और विभिन्न व्यापारिक क्षेत्रों को सुगम बनाने के लिए उठाए गए कदमों से भारत ने यह साबित करने की कोशिश की है कि वह वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए तैयार है। ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति ने भारत के लिए कई चुनौतियां पैदा की हैं। यह नीति मुख्य रूप से उच्च आयात शुल्क और व्यापारिक असंतुलन को लक्षित करती है। हालांकि, भारत ने कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क घटाए हैं, जैसे कि बादाम, सेब और छोले, लेकिन ट्रंप शायद इन कदमों से संतुष्ट नहीं होंगे। कृषि उत्पाद भारत के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र हैं और इसमें कोई भी बदलाव भारतीय राजनीति में विवादास्पद हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को ट्रंप की नीति से सावधान रहना होगा, क्योंकि यह नीति अमेरिका के व्यापारिक घाटे को कम करने के लिए अन्य देशों के खिलाफ कदम उठाने पर जोर देती है। हालांकि, भारत को उम्मीद है कि अमेरिका-भारत के सामरिक संबंध, जो चीन के मुकाबले क्वाड के रूप में मजबूत हुए हैं, इस संकट को कम कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, भारत ने हाल ही में जिस तरह मोटरसाइकिलों और अन्य वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती की है, एक रणनीतिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम न केवल भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों को बेहतर बनाने का प्रयास है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को भी मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।हालांकि, यह कदम ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का सामना करने के लिए पर्याप्त होगा या नहीं, यह सवाल बना हुआ है। ट्रंप का दबाव और कृषि उत्पादों पर भारत की नीतियां इन रिश्तों को चुनौती दे सकती हैं, लेकिन भारत के सामरिक और व्यापारिक दृष्टिकोण में सुधार से यह संभावना है कि भारत इन चुनौतियों का सामना कर सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच आगामी मुलाकात में इन मसलों पर स्पष्ट स्थिति बन सकती है, जिससे आने वाले समय में व्यापारिक रिश्तों को लेकर और दिशा स्पष्ट हो सकेगी।