Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » राष्ट्र संवाद नजरिया : पंजाब में कांग्रेस के लिए केवल सिद्धू को मनाने की बात नहीं, बल्कि ट्रिपल चुनौती का सामना करने की है
    Breaking News Headlines राजनीति राष्ट्रीय

    राष्ट्र संवाद नजरिया : पंजाब में कांग्रेस के लिए केवल सिद्धू को मनाने की बात नहीं, बल्कि ट्रिपल चुनौती का सामना करने की है

    Devanand SinghBy Devanand SinghSeptember 29, 2021No Comments4 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    राष्ट्र संवाद नजरिया : पंजाब में कांग्रेस के लिए केवल सिद्धू को मनाने की बात नहीं, बल्कि ट्रिपल चुनौती का सामना करने की है

    बिशन सिंह पपोला

    पंजाब कांग्रेस में चल रहा शह मात का खेल पंजाब कांग्रेस में जिस तरह शह मात का खेल चल रहा है, उससे न केवल राज्य में सियासी संकट गहराता दिख रहा है, बल्कि आगामी चुनाव को देखते हुए कांग्रेस का भविष्य भी खतरे में दिख रहा है। पिछले कुछ दिनों के अंदर जिस तरह का माहौल वहां दिख रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच जारी खींचतान जल्द समाप्त होने वाली नहीं है। अभी तक पार्टी के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह को मानने की जरूरत थी, अब जिसकी वजह से कैप्टन को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, अब उन सिद्धू को मनाने की जरूरत पड़ रही है। हालांकि, कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है और उन्हें मानने की पुरजोर कोशिशें की जा रहीं हैं, ऐसा लग रहा है कि ये कोशिशें सफल भी हो जाएंगी, लेकिन पार्टी इस खींचतान से उबर पाएगी, ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता है। पार्टी के सामने तीन तरह की चुनौती है, सबसे पहला सिद्धू को वापस अध्यक्ष बनाए रखना, दूसरा कैप्टन अमरिंदर सिंह को पार्टी में बनाए रखना, क्योंकि उनकी बीजेपी में जाने की अटकलें लगाईं जा रहीं हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि उन्हें बीजेपी की तरफ से बड़ा ऑफर है, जिसमें उन्हें पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन को शांत करने के मकसद से कृषि मंत्री बनाया जा सकता है। बताया यह भी जा रहा कि उनको उपराष्ट्रपति भी बनाए जाने का ऑफर है। ये चीजें कितनी सच हैं, इसका आने वाले दिनों में पता चलेगा। पर जब ये बातें हवा में तैर रहीं हैं तो इसका मतलब है, कुछ न कुछ कारण तो है ही। कांग्रेस के सामने तीसरी बड़ी चुनौती है नए मुख्यमंत्री बनाए गए चरणजीत सिंह चिन्नी को खुलकर काम करने देने की आजादी देना। कुल मिलाकर, पार्टी के सामने बड़ी अजमंजस की स्थिति है। एक चुनाव सिर पर हैं और दूसरा इतना बड़ा राजनीतिक बखेड़ा। अगर, कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी का दामन थामते हैं तो निश्चित ही कांग्रेस को राज्य में भारी नुकसान होगा, क्योंकि बीजेपी भी कैप्टन को पार्टी में लेने के लिए उतावली है, क्योंकि उसे भी पंजाब में कैप्टन जैसा ही नेता चाहिए। कैप्टन बीजेपी में आते हैं तो बीजेपी पंजाब में मजबूत स्थिति में आ जाएगी, जहां तक कांग्रेस का सवाल है, अगर सिद्धू मान भी जाते हैं तो स्थिति सामान्य हो जाएगी, ऐसा कतई नहीं लगता है, वह इसीलिए क्योंकि सिद्धू चाहेंगे कि सरकार में उनका पूरा दखल हो और नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चिन्नी ऐसा चाहेंगे, ऐसा भी नहीं लगता है, क्योंकि वह भी चाहेंगे कि चुनाव का जिस तरह समय कम बचा है, उसमें वह कुछ करके दिखाएं, तभी वह पार्टी और राज्य के अंदर मजबूत आधार बना पाएंगे। ऐसा वह करते भी दिख रहे हैं, मंत्रिमंडल की टीम उन्होंने अपने हिसाब से बनाई है, यही बात सिद्धू को नागवार गुजरी और उन्होंने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू चाहे कुछ भी सोचें, सच तो यही है कि पद मिलने के बाद हर कोई चाहता है कि उसे अपने अनुसार काम करने का मौका मिले। सिद्धू के रहते ऐसा संभव हो, इसकी गुंजाइश न के बराबर है, लिहाजा अभी मान मन्नोवल से मामला शांत भी करा लिया जाता है तो आने वाले दिनों में स्थिति शांत रहेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं। ऐसे में, पार्टी के लिए यही सही रहेगा कि कुछ ऐसे विकल्पों की तलाश करे, जिसमें राज्य की लीडरशिप अपने अपने स्तर पर हावी होने की कोशिश करने के बजाय कुछ त्याग की भावना से काम करे, जिससे राज्य में पार्टी चुनावों में कुछ कमाल कर पाए। नहीं तो, पंजाब की सत्ता भी हाथ से फिसल जाएगी।

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleशिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, जमशेदपुर विभाग द्वारा हिंदी दिवस की पखवाड़ा पर थीसिस कोचिंग सेंटर में गद्य और पद्य पर आधारित प्रतियोगिता का आयोजन
    Next Article क्या कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी को कांग्रेस में शामिल कर कांग्रेस की तकदीर बदल पाएंगे राहुल ?

    Related Posts

    हर एक मनुष्य को शारीरिक-मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में विकसित होने का अधिकार है

    May 12, 2025

    फिर आएगा गौरी : इतिहास के पन्नों से वर्तमान तक का सबक

    May 12, 2025

    बौद्ध धर्म का उदय-प्रसार और बौद्ध स्मारक के संरक्षण की आवश्यकता

    May 12, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    हर एक मनुष्य को शारीरिक-मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में विकसित होने का अधिकार है

    फिर आएगा गौरी : इतिहास के पन्नों से वर्तमान तक का सबक

    बौद्ध धर्म का उदय-प्रसार और बौद्ध स्मारक के संरक्षण की आवश्यकता

    संघर्ष विराम कूटनीतिक राहत या अस्थायी विराम?

    सरायकेला थाना से महज 500 मीटर की दूरी पर असामाजिक तत्वों ने साप्ताहिक हाट बाजार में लगा दी आग

    तेली साहू समाज गोलमुरी क्षेत्र ने मनाया कर्मा जयंती, कार्यकम का उद्घाटन पूर्णिमा साहू और दिनेश कुमार ने किया

    हेलमेट और कागजात की चेकिंग के बाद भी लोगो से पैसे की मांग करती हैं पुलिस – सरदार शैलेन्द्र सिँह

    आदित्यपुर में एंटी करप्शन इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की बैठक संपन्न, सदस्यों को भ्रष्टाचार मुक्त समाज निर्माण का दिया निर्देश

    हाता बिरसा चौक में बनेगा 4.50 करोड़ की लागत से बस स्टैंड सह मार्केट कॉम्प्लेक्स, विधायक संजीव सरदार ने किया भूमि पूजन

    जमशेदपुर मे संभावित हवाई हमले व अन्य आपदा प्रबंधन के संबंध में मॉक ड्रिल का आयोजन

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.