- राष्ट्र संवाद पर निज़ाम ख़ान की कलम से
राजनीति में बहुत से नेता आते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जिनमें जनसेवा के साथ-साथ संवाद और संवेदनशीलता की गहराई हो। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ऐसे ही जननेताओं में से एक हैं, जिनसे संवाद करना महज एक पेशेवर दायित्व नहीं, बल्कि एक सीखने का अनुभव भी रहा है। मैं, निज़ाम ख़ान, एक पत्रकार होने के नाते, कई मौकों पर रबीन्द्रनाथ महतो से संवाद और साक्षात्कार का अवसर पा चुका हूँ — और हर बार उनकी सादगी, स्पष्टता और विषयों की गहरी समझ ने प्रभावित किया है।
रबीन्द्रनाथ महतो के साथ संवाद की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि वे कभी औपचारिकता में नहीं उलझते। चाहे वह झारखंड विधानसभा के कार्यों पर चर्चा हो, नाला क्षेत्र के विकास पर प्रश्न हों या लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर बात — उनका दृष्टिकोण हमेशा साफ, पारदर्शी और तथ्यों पर आधारित रहा है।
एक पत्रकार के रूप में मेरी भूमिका केवल सवाल पूछने तक सीमित नहीं रही; रबीन्द्रनाथ महतो के उत्तरों ने मुझे भी झारखंड की सामाजिक-राजनीतिक संरचना को और बेहतर ढंग से समझने में मदद की। वे शब्दों से ज़्यादा काम में विश्वास रखने वाले नेता हैं, और यही बात उन्हें भीड़ से अलग करती है।
हमारी बातचीत के दौरान मैंने महसूस किया कि वे न केवल सदन की गरिमा बनाए रखने में सक्षम हैं, बल्कि विपक्षी दलों की बातों को भी गंभीरता से सुनने और संतुलन बनाने में माहिर हैं। यही लोकतंत्र की खूबी होती है — और ऐसे नेता ही लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूती देते हैं।
उनसे जुड़ी एक विशेष बात यह है कि वे मीडिया को केवल प्रचार का माध्यम नहीं, बल्कि जनसंपर्क और पारदर्शिता का सेतु मानते हैं। उन्होंने मुझसे कई बार कहा कि, “पत्रकार का काम केवल रिपोर्ट करना नहीं, बल्कि जनता और शासन के बीच सेतु बनाना है।” यह उनके लोकतांत्रिक सोच की मिसाल है।
रबीन्द्रनाथ महतो के साथ संवाद का हर अवसर मेरे लिए पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से समृद्ध करने वाला रहा है। एक पत्रकार के रूप में मैं इसे सौभाग्य मानता हूँ कि मैंने ऐसे नेता से संवाद किया जो विचार, व्यवहार और विकास — तीनों स्तरों पर जनभावनाओं का सम्मान करता है।