पीएम मोदी का चुनावी मोड
देवानंद सिंह
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनावी समर में कूद पड़ी है। पीएम मोदी भी खुद पूरी ताकत झौंकने में लगे हुए हैं। हालांकि अभी लोकसभा चुनावों की तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन पीएम मोदी इससे पहले ही एक्टिव मोड में आ चुके हैं और कार्यकर्ताओं को भी सक्रियता के साथ जुट जाने का संदेश दे रहे हैं।
वह अलग-अलग राज्यों का दौरा करके चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहनाने की कोशिश में जुटे हैं। इस बीच वह काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान के दर्शन करने भी पहुंचे। वाराणसी उनका संसदीय क्षेत्र भी है। ऐसे में, पीएम मोदी एक भक्त के रूप में काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे थे।
पीएम मोदी के हाथ में त्रिशूल था, माथे पर तिलक लगा हुआ था, गले में माला थी और उनके चेहरे पर थकान के साथ खुशी भी दिख रही थी। पीएम मोदी ने खुद अपनी यह तस्वीर शेयर की। इसके साथ उन्होंने कुल तीन फोटो शेयर किए। अन्य दो फोटो में भी वह महादेव की भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। दूसरी फोटो में पीएम मोदी हाथ जोड़े हुए बैठे हैं और पुजारी उनके माथे पर तिलक लगा रहे हैं। वहीं, तीसरी फोटो में वह मंदिर के बाहर से भगवान को प्रणाम कर रहे हैं।
घंटियों की गूंज के साथ ही मोदी ने काशी विश्वनाथ की आरती भी उतारी और पुष्प अर्पित किया। उन्होंने काशी विश्वनाथ का श्रृंगार भी किया। पुजारियों ने मोदी को अंगवस्त्र देकर और माला पहनाकर आशीर्वाद प्रदान किया। पुजारी ने मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री मोदी को रक्षा सूत्र भी बांधे। अधिकारियों ने बताया कि मंदिर में पूजा-अर्चना और परिक्रमा कर प्रधानमंत्री ने लोक कल्याण की कामना की। वापसी में मोदी ने त्रिशूल दिखाकर उत्साहित जनता का स्वागत किया। काशी विश्वनाथ मंदिर में जुटे भक्तों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए।
*वाराणसी से तीसरी बार बने हैं प्रत्याशी*
भगवान शिव की नगरी काशी वर्षों से सांस्कृति एवं धार्मिक का केंद्र रही है। सियासत के लिहाज से भी काशी का नाम दुनियाभर में लिया जाता है। इसकी वजह भी साफ है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संसदीय क्षेत्र है। एक बार फिर पीएम मोदी इसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री लगातार दो बार से वाराणसी जीत रहे हैं। एक बार फिर यानी तीसरी बार पीएम मोदी इसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वाराणसी कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस सीट पर अभी तक सात बार कांग्रेस जीत चुकी है तो वहीं भाजपा भी सात बार जीत चुकी है। एक-एक बार जनता दल और सीपीआई भी यह सीट जीत चुकी है, हालांकि, 17 लोकसभा चुनाव में कभी भी सपा और बसपा ने जीत दर्ज नहीं की।
*कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे अधिक*
अगर, वाराणसी लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद ब्राह्मण और भूमिहार की संख्या है। यहां वैश्य, यादव, मुस्लिम वोटरों की संख्या जीत के लिए निर्णायक साबित होती है। यहां 3 लाख से ज्यादा गैर यादव ओबीसी वोटर हैं। वहीं, 2 लाख से ज्यादा वोटर कुर्मी हैं। करीब इतने ही वैश्य वोटर हैं। डेढ़ लाख के आसपास भूमिहार वोटर हैं।
*2004 चुनाव को छोड़ 1991 से जीतती रही है बीजेपी*
वाराणसी लोकसभा सीट पर अगर 2004 चुनाव को छोड़ दें तो 1991 से बीजेपी यह सीट जीतती रही है। 2004 में इस सीट पर कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा चुनाव जीत गए थे। पिछले दिनों वह भी भाजपा में शामिल हो गए। 2014 में मोदी लहर में इस सीट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चुनाव लड़े थे, हालांकि उन्हें पौने चार लाख वोट से हार का सामना करना पड़ा था।