नक्सलियों से लड़ने वाले नागरिक सुरक्षा समिति (नासुस) के परिजन आज भी उपेक्षित, आश्रितों को नौकरी और मुआवजे की मांग
*विधायक संजीव सरदार ने विधानसभा में उठाया मुद्दा, बंद मानदेय को तत्काल चालू करने की अपील*
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में नक्सलियों के खिलाफ बहादुरी से लड़ने वाले नागरिक सुरक्षा समिति (नासुस) के सदस्यों और उनके परिवारों की उपेक्षा पर पोटका विधायक संजीव सरदार ने विधानसभा में कड़ा सवाल उठाया। उन्होंने सदन के माध्यम से सरकार से मांग की कि शहीद नासुस सदस्यों के आश्रितों को तत्काल नौकरी और मुआवजा दिया जाए। साथ ही, मार्च 2024 से बंद किए गए उनके मानदेय को भी फिर से शुरू किया जाए।
विधायक संजीव सरदार ने कहा कि वर्ष 2003 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ. अरुण उरांव के नेतृत्व में गठित नासुस ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान कई सदस्यों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन उनके परिवारों को अब तक किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग राज्य की सुरक्षा के लिए बलिदान दे चुके हैं, उनके परिवार आज भी उपेक्षा के शिकार हैं।
*नासुस के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता : संजीव सरदार*
विधायक संजीव सरदार ने कहा कि नासुस के सदस्यों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सरकार और पुलिस प्रशासन का साथ दिया था. उनके बलिदान को कभी बुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में जल्द से जल्द संज्ञान ले और सभी आश्रितों को राहत पहुंचाए।
*बंद मानदेय फिर से शुरू करने की मांग*
संजीव सरदार ने कहा कि नासुस के बचे हुए सदस्यों को जो मामूली मानदेय दिया जाता था, उसे भी मार्च 2024 से रोक दिया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि यह मानदेय फिर से जल्द से जल्द बहाल किया जाए, ताकि नासुस के सदस्य सम्मानजनक जीवन जी सकें।