कर्माटांड़ प्रखंड के कई गांवों में उगते सूर्य देव की भव्य पूजा, क्षेत्र हुआ भक्तिमय
कर्माटांड़ प्रखंड के कई गांवों में भगवान सूर्य देव की विशेष पूजा श्रद्धा और आस्था के साथ संपन्न हुई। यह अनूठी पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो लंबे अंतराल—करीब 10 से 20 वर्षों के बाद—आयोजित की जाती है। इस अवसर पर पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो जाता है, जहां हजारों श्रद्धालु पूजा में शामिल होते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। पूजा की शुरुआत भक्तगणों द्वारा अपने घरों में सूर्य देव की पूजा से होती है। संध्या समय सभी श्रद्धालु तालाब जाते हैं और वहां सूर्य देव की विधिवत आराधना करते हैं। रात में विशेष अनुष्ठान होते हैं, जिसमें मंत्रोच्चारण और पूजा के बाद खीर का प्रसाद बनाया जाता है। अगले दिन सुबह होते ही वैदिक मंत्रों और धार्मिक विधानों के साथ सूर्य देव की महापूजा संपन्न की जाती है। इस पूजा की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें सफेद बकरे की बलि दी जाती है, जिसे परंपरागत रूप से शुभ माना जाता है।
पूरे अनुष्ठान के दौरान सभी पुजारी और श्रद्धालु पूर्ण सात्त्विकता का पालन करते हैं। एक महीने तक चलने वाली इस पूजा के दौरान पुजारियों को निरामिष भोजन करना अनिवार्य होता है। इसके अलावा, इस पूजा में जो भी प्रसाद प्राप्त होता है, उसे आंगन में ही ग्रहण करना पड़ता है, क्योंकि इसे बाहर ले जाना अशुभ माना जाता है।
इस धार्मिक अनुष्ठान में आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु, नन्हे-मुन्ने बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल होते हैं। विभिन्न धार्मिक समितियां भी इस अवसर पर भाग लेती हैं और भक्तों के लिए प्रसाद वितरण का आयोजन करती हैं। पूरे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण बना रहता है, जहां भक्ति, आस्था और परंपराओं का संगम देखने को मिलता है।