विवेकानंद के प्रेरणा से विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है एबीवीपी
राष्ट्र संवाद संवाददाता पूजा सिंह
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नगर इकाई डंडारी के द्वारा स्वामी विवेकानंद जी के जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस को(युवा सप्ताह) के रूप में डंडारी प्रखंड के कल्याणपुर में मनाया गया इस दौरान विवेकानंद जी का क्या संदेश विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया, एबीवीपी उत्तर बिहार के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य दयानिधान गिरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और कटक से अटक तक देश को एकसूत्र में पिरोने का कार्य किया, अभाविप स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों पर चलने वाला छात्र संगठन है, एबीवीपी कार्यकर्ता किसी भी कार्य को कहने से ज्यादा करने में विश्वास रखते हैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दुनिया का एकमात्र छात्र संगठन है, जो व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र पुनर्निर्माण के लिए संकल्पित है। आज कई युवा विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रूप से कार्य करके विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल कर रहे हैं,स्वामी विवेकानंद जी का यह स्पष्ट मत था कि युवा राष्ट्र के सकारात्मक परिवर्तन का सबसे बड़ा माध्यम बन सकते हैं। विद्यार्थी परिषद इन्हीं युवाओं के चरित्र निर्माण पर काम करके एक सशक्त समाज की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। एबीवीपी डंडारी के नगर मंत्री दिवेश कुमार ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमेशा कहा कि शिक्षित, सशक्त और सामर्थ्यवान युवा राष्ट्र के लिए बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। यदि हम उनके विचारों पर चलकर काम करें, तो हम भारत को फिर से विश्व गुरु बना सकते हैं। आज विद्यार्थी परिषद स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणा से ही विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है,समाज की बेहतरी के लिए युवाओं को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर चलने की जरूरत है। हमारे समाज के युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद सदैव ऊर्जा के स्रोत रहे हैं।युवाओं को ऐसे आदर्शों को आत्मसात करने से ही समाज में सकारात्मक बदलाव होगा एबीवीपी डंडारी के नगर अध्यक्ष वसंत कुमार ने कहा कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद जी के बारे में अध्ययन करना चाहिए हमें उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है, विवेकानंद ने पूरी दुनिया में भारत एवं हिंदुत्व की गहरी छाप छोड़ी थी। शिकागो में दिया गया उनका भाषण आज भी लोगों को गर्व से भर देता है, स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान व साहित्य सभी विषयों के विद्वान थे। भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी उन्हें ज्ञान था। इस मौके पर पंकज कुमार, रूपेश कुमार, सचिन कुमार आदि मौजूद थे