पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का जीवन और कार्य हम सभी के लिए है आदर्श:राजेंद्र प्रसाद घोष
निजाम खान। राष्ट्र संवाद
जामताड़ा: कुंडहित प्रखंड मुख्यालय स्थित भारतीय कांग्रेस पार्टी कार्यालय में प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद घोष के नेतृत्व में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के लिए एक शोक सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान डॉक्टर सिंह के चित्रपट पर कार्यकर्ताओं द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा के शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।मौके पर प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद घोष ने कहा डॉ. मनमोहन सिंह: एक विद्वान, अर्थशास्त्री और भारत के नेता रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिनकी विद्वता, शालीनता और निस्वार्थ सेवा ने देश के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है। वे एक प्रख्यात अर्थशास्त्री, कुशल प्रशासक और एक संवेदनशील राजनेता रहे हैं। डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) के गाह गांव में हुआ था। विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया, और यहीं से उनकी शिक्षा-दीक्षा और विकास की कहानी शुरू हुई।
डॉ. सिंह की शिक्षा का प्रारंभिक चरण असाधारण रहा। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने डी. फिल की उपाधि अर्जित की। उनकी शिक्षा और शोध ने उन्हें विश्व स्तर पर एक प्रख्यात अर्थशास्त्री के रूप में पहचान दिलाई।
डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया। 1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब वे प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को लागू किया। इन नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नए आयाम दिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को आर्थिक दृष्टि से सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व में किए गए आर्थिक सुधारों का प्रभाव आज भी देश के विकास में देखा जा सकता है।डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। यह कालखंड भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण रहा। उनके कार्यकाल में मनरेगा जैसी योजनाएं लागू की गईं, जिससे ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा मिला। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम और शिक्षा का अधिकार जैसे कानूनों ने देश के लोकतंत्र को अधिक सशक्त बनाया। उनकी ईमानदारी और सादगी को हर वर्ग ने सराहा।
डॉ. मनमोहन सिंह अपनी शालीनता और विनम्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। राजनीति के शोर-शराबे से दूर रहकर उन्होंने अपने काम से लोगों का विश्वास अर्जित किया। वे हमेशा अपने विचारों और कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहे। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि ज्ञान, धैर्य और कड़ी मेहनत से बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार किया जा सकता है।डॉ. सिंह का योगदान केवल भारत तक ही सीमित नहीं है; वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के प्रतिनिधि के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें भारत रत्न न मिलने के बावजूद लोग उनके कार्यों को सर्वोच्च सम्मान देते हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जिन्होंने अपनी विद्वता, नीति-निर्माण की क्षमता और ईमानदारी से न केवल भारतीय राजनीति को नई दिशा दी, बल्कि भविष्य के नेताओं के लिए प्रेरणा भी प्रदान की। उनका जीवन और कार्य हम सभी के लिए आदर्श है।मौके पर प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद घोष के अलावा,अभय सिंह,संदीप पैतंडी, फकरुद्दीन खान,आजाउद्दीन खान, आशीश सरकार,प्रशेंजीत बनर्जी आदि मौजूद थे।