जामताड़ा के नव पदस्थापित जिला शिक्षा अधीक्षक राजेश कुमार पासवान ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है। उन्होंने प्रत्येक माह सेवानिवृत होने वाले शिक्षक,सहायक अध्यापकों और परियोजना कर्मियों को उनके उत्कृष्ट सेवा के लिए विदाई सह सम्मान समारोह आयोजन करने की शुरुआत की है।
सोमवार को सर्व शिक्षा अभियान जामताड़ा के सभागार में कुंडहित प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय नाटुलतला के शिक्षक माणिक चंद मंडल ,प्राथमिक विद्यालय बरियारपुर के शिक्षक शिव नंदन महतो ,करमाटांड प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय रांगामटिया की सहायक अध्यापिका दमयन्ती देवी ,उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के चकवकसीपुर के शिक्षक श्यामलाल सिन्हा और नारायणपुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय करमोई के शिक्षक सरयू प्रसाद पंडित सहित 5 शिक्षक शिक्षिकाओं का विदाई सह सम्मान समारोह आयोजित किया गया।जामताड़ा के डी एस ई राजेश कुमार पासवान ने सेवानिवृत्त शिक्षक शिक्षिकाओं और सहायक अध्यापकों को चादर,डायरी और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
जिला शिक्षा अधीक्षक राजेश कुमार पासवान ने कहा कि शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते।शिक्षक समाज के अभिन्न अंग हैं। वे राष्ट्र निर्माता हैं । शिक्षक सेवानिवृति के बाद का शेष जीवन स्वेच्छा से समाज के लोगों को शिक्षित करने में लगाएं। वे अपने आप को व्यस्त रखें। अपने परिवार और समाज से जुड़े रहें। अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें। उन्होंने सभी सेवानिवृत शिक्षक शिक्षिकाओं का सेवानिवृत्ति के उपरांत सभी प्रकार के वित्तीय लाभ को ससमय पूर्ण करने का आश्वासन दिया।
नव पदस्थापित जिला शिक्षा अधीक्षक के इस अनूठे पहल का अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ जामताड़ा और झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षा जामताड़ा ने सराहना की । तथा शिक्षक संगठनो ने शिक्षको और परियोजना कर्मियों के सम्मान समारोह को भविष्य में जारी रखने की अपील की।
वहीं कार्यक्रम में शिक्षक प्रतिनिधि वरुण कुमार मंडल ,बाल्मीकि कुमार, महेश्वर घोष ,हरि प्रसाद राम , शिक्षक श्यामलाल महतो ,सलिल कुमार सिंह ,डॉ दिलीप कुमार सिंह,अमरनाथ दास ,हरदेव यादव,आशीष सामंत ,शिव शंकर मंडल, श्यामल कुमार सिंह सहित दर्जनों शिक्षक मुख्य रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक विद्या सागर ने किया।
कार्यक्रम के सफल संचालन में एसएसए कर्मी विनोद राजहंस,ए डी पी ओ संजय कापरी ,ए पी ओ उज्जवल मिश्रा, ए पी एम अजय कुमार और बंदना भट्ट , कर्मी सुदर्शन कुमार ,कमलेश कुमार और कामाख्या मंडल का अहम योगदान रहा।