*भारत और क़तर के ऐतिहासिक संबंधों का नया अध्याय*
देवानंद सिंह
भारत और क़तर के बीच पारंपरिक संबंधों की गहरी जड़ें हैं, जो कई दशकों से मजबूती के साथ फल-फूल रहे हैं। क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमाद अल-थानी की भारत यात्रा इस गहरे रिश्ते का एक और महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसने भारत और क़तर के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक सशक्त बनाने का अवसर प्रदान किया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क़तर के अमीर के बीच मुलाकातों से न केवल द्विपक्षीय व्यापार, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी के नए अवसरों की तलाश भी तेज़ हो गई है।
यह बात उल्लेखनीय है कि भारत और क़तर के कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी, जब क़तर ने भारत में अपना पहला चार्ज द अफ़ेयर्स नियुक्त किया था। इसके बाद क़तर ने 1974 में अपना पहला राजदूत भारत भेजा था। यह द्विपक्षीय संबंधों के प्रारंभिक चरण थे, लेकिन समय के साथ इन संबंधों में लगातार मजबूती आई। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क़तर दौरा एक मील का पत्थर था, जब दोनों देशों के बीच सात महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह यात्रा क़तर-भारत रिश्तों में एक नया अध्याय साबित हुई, जो पहले से अधिक गहरे और व्यापक साझेदारी के रूप में उभरी।
इस समय तक, भारत और क़तर के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्ते बेहतर हो चुके थे। क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमाद अल-थानी की भारत यात्रा 18 फरवरी 2024 को हुई, जो इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी कि दोनों देशों ने न केवल पारंपरिक व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत किया, बल्कि भविष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया। भारत और क़तर के बीच व्यापार का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। क़तर भारत का प्रमुख एलएनजी (लिक्विफ़ाइड नेचुरल गैस) आपूर्तिकर्ता है, और भारत अपनी एलएनजी की जरूरत का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा क़तर से आयात करता है। 2023-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 14.08 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें क़तर से भारत का आयात 12.38 अरब डॉलर का था। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में वृद्धि की अपार संभावना है, क्योंकि भारत और क़तर नई तकनीकों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अन्य भविष्य की परियोजनाओं में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
क़तर के साथ व्यापारिक रिश्तों का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि क़तर भारत को न केवल ऊर्जा संसाधन जैसे एलएनजी और एलपीजी बेचता है, बल्कि उर्वरक, रसायन, एल्यूमीनियम, प्लास्टिक और अन्य उद्योगों के उत्पाद भी भारत को निर्यात करता है। इसके अलावा, भारत क़तर को तांबा, लोहा, स्टील, मसाले, सब्जियां और अन्य उत्पादों की आपूर्ति करता है। इस विविध व्यापारिक सहयोग ने दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक बंधन बनाए हैं और भविष्य में इस क्षेत्र में और अधिक वृद्धि की संभावना है।
भारत और क़तर के रिश्तों में केवल व्यापारिक या राजनीतिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्तों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। क़तर में भारतीय समुदाय दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है और यहां आठ लाख से अधिक भारतीय नागरिक विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। क़तर के आर्थिक विकास में भारतीय श्रमिकों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, भारतीय समुदाय ने क़तर में चिकित्सा, इंजीनियरिंग, शिक्षा, वित्त, बैंकिंग, व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई है। क़तर में भारतीय व्यापारियों की भी बड़ी संख्या है, जो व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत बनाते हैं। भारत और क़तर के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग भी बढ़ रहा है। दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण रक्षा समझौते हैं, जो भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के जहाजों को क़तर के बंदरगाहों का दौरा करने की अनुमति देते हैं। क़तर भी भारतीय सैनिकों को अपनी रक्षा संस्थाओं में प्रशिक्षण देने के लिए स्लॉट प्रदान करता है। इसके अलावा, दोनों देश अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनियों में भी एक साथ भाग लेते हैं, जैसे कि दोहा इंटरनेशनल मैरिटाइम डिफेंस एक्सबिशन एंज कॉन्फ्रेंस।
इसके इतर, भारत और क़तर के रिश्तों में भी कुछ चुनौतियां भी रही हैं। 2022 में बीजेपी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैग़ंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी की प्रतिक्रिया के रूप में क़तर ने भारत से सार्वजनिक माफ़ी की मांग की थी। हालांकि, भारतीय सरकार ने इस विवाद पर शीघ्र ही कदम उठाते हुए नुपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित किया और क़तर ने इस कदम का स्वागत किया। यह घटना यह दर्शाती है कि दोनों देशों के रिश्तों में संवेदनशीलता और समझदारी की आवश्यकता होती है, ताकि इस प्रकार के विवादों से निपटा जा सके।
भारत और क़तर के रिश्ते अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं, जहां न केवल व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग है, बल्कि नई तकनीकों, रक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी में भी अवसर बढ़ रहे हैं। 2024 में पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड और क़तर एनर्जी के बीच एलएनजी आपूर्ति के लिए समझौता, क़तर और भारत के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी को प्रदर्शित करता है। इसके अतिरिक्त, क़तर की ओर से भारत के लिए निरंतर बढ़ता हुआ व्यापारिक महत्व यह संकेत देता है कि भारत, क़तर के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार बना रहेगा। दोनों देशों के बीच बढ़ती हुई तकनीकी, व्यापारिक और सांस्कृतिक साझेदारी यह दिखाती है कि भविष्य में भारत और क़तर के रिश्ते और भी मजबूत होंगे, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है।
कुल मिलाकर, भारत और क़तर के रिश्ते न केवल ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, बल्कि वर्तमान में भी ये विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ते हुए दिखते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति, रक्षा और समाज के विभिन्न पहलुओं में सहयोग बढ़ रहा है। क़तर के अमीर की भारत यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किए गए प्रयास, इन रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में सहायक साबित हो रहे हैं। हालांकि, दोनों देशों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन उनके बीच सामंजस्य और समझ की भावना उन्हें एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करती है। आने वाले वर्षों में, भारत और क़तर के रिश्तों में और भी गहरी दोस्ती और साझेदारी की संभावना है, जो दोनों देशों के लाभ के लिए काम करेगी।