राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की 113 वीं जयंती गुरुवार को दिनकर सेवा सदन, विद्यापति नगर, जमशेदपुर मे आयोजित की गई। इस अवसर पर कविसम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती एवं दिनकर जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ,शाल, मोमेंटो, डायरी एवं कलम देकर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक सरयु राय, एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार जयनंदन जी थे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डा रागिनी भूषण ने की। मंच संचालन संस्था के संयोजक सरोज कुमार सिंह, मधुप द्वारा किया गया। स्वागत भाषण महासचिव सुधीर कुमार सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन अजय कुमार प्रजापति ने दिया। कवि सम्मेलन में शहर के प्रसिद्ध कवयित्री डा कल्याणी कबीर, हरिहर राय चौहान, सोनी सुगंधा, दीपक वर्मा, अजय प्रजापति, शिवनंदन सिंह उपस्थित थे।
सरयू राय ने कहा कि दिनकर संपूर्ण कवि थे, प्रखर चिंतक थे। वे आजादी के समय अपनी कविता के माध्यम से कड़वी कटाक्ष करने से भी नहीं चूकते थे। दिनकर जयप्रकाश जी के विचारों से काफी प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि दिनकर जी के संपूर्ण व्यक्तित्व को समाज के सामने लाया जाना चाहिए।
जयनंदन जी ने कहा कि दिनकर छायादोतकार काल के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। वे नेहरू जी के वक्तव्य पर हमेशा कटाक्ष किया करते थे। अपने प्रचलित रशमिरथि मे कर्ण के जीवन का रूप प्रस्तुत किया है।
कल्याणी कबीर की प्रस्तुत कविता
शब्द अंगार बन जाए, कहीं से आओ दिनकर।
शौर्य आधार बन जाए
कहीं से आओ तुम दिनकर।
सोनी सुगंधा की कविता
जिस कलम मे शौर्य, साहस ओज की हुंकार है।
उस कलम की चेतना का स्वर प्रखर साकार है।
रागिनी भूषण की कविता
रच डालो दिनकर की ज्वाला
रजत हिमालय में गंगाधर।
तांडव हो असुरों का कर दो
नाश अक्षरों से त्रिशूलधर।
अजय प्रजापति की कविता
इस देश की नवचेतना का गान है दिनकर।
हम आप जैसों के ह्रदय का मान है दिनकर।
दीपक वर्मा की कविता
इस जीवन के कुरुक्षेत्र में तनिक नहीं घबराना।
जब अंधकार की बेला हो तो रशमिरथि बन जाना।
शिवनंदन सिंह की कविता
जन्ममरण के संग हैं, हे पत्थर महाराज।
इस दुनिया में आपका, सभी जगह है राज।
हरिहर राय चौहान की कविता
शिकवे गिले बहुत है मगर भूल जाइए।
बंजर हूं पर जमीन हूँ, पानी पिलाइए।
कार्यक्रम को सफल बनाने में बिहारी प्रसाद, विजय नारायण, विनोद सिंह, शक्ति पांडे, गोरख सिंह, अनिल सिंह, प्रलहाद लोहार, कृषनंदन सिंह, बसंत ठाकुर की अहम भूमिका रही।