मोहम्मद शमीम साहित्य को संवर्धित करने ,नए कलमकारों को आगे ले आने ,और समाज में राष्ट्रीयता की भावना को जगाने में लगे रहे।उनका जाना न सिर्फ जमशेदपुर बल्कि पूरे मीडिया जगत और देश की क्षति है:अखिल भारतीय साहित्य परिषद
अत्यंत दुःख से गुजरते हुए भी मन यह मानने को तैयार नहीं कि एक बेहद ही अच्छे ,प्यारे,और सुलझे हुए इंसान मोहम्मद शमीम भाई यूं अनायास और असमय ही हम सबको छोड़कर अपने आख़िरी सफ़र पर निकल जायेंगे।जानता हूं कि
यह मनहूस ख़बर सच है फिर भी पता नहीं क्यों इस पर यकीन करने को तैयार नहीं हो रहा मन..। फिर भी सच तो सच है ,बेशक वह जितना भी कष्टदाई हो,स्वीकार तो करना ही पड़ेगा।
ये दुःख भरे उद्गार हैं अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,जमशेदपुर के अध्यक्ष शैलेन्द्र पांडेय शैल के जो उन्होंने शहर के ईमानदार ,सजग और निष्पक्ष पत्रकार एवं साहित्य प्रेमी
मोहम्मद शमीम की आकस्मिक मौत पर परिषद की तरफ से अपनी संवेदना प्रकट करते हुए दी। शैल जी ने कहा कि शमीम भाई हिंदुस्तान अखबार के सब एडिटर के तौर पर कार्य करते हुए भी ,साहित्य को संवर्धित करने ,नए कलमकारों को आगे ले आने ,और समाज में राष्ट्रीयता की भावना को जगाने में लगे रहे।उनका जाना न सिर्फ जमशेदपुर बल्कि पूरे मीडिया जगत और देश की क्षति है।ईश्वर उनकी रूह को जन्नत में आला मुकाम अता फरमाएं तथा उनके परिवार को इस मुश्किल वक्त में यह दुःख सहने की शक्ति और हिम्मत प्रदान करें