‘केक’ बयान से उजागर हुई मंत्री अंसारी की महिला विरोधी सोच
अपने बेलगाम मंत्री पर क्यों चुप हैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस अलाकमान
देवानंद सिंह
रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने जिस तरह भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की है, उसने न केवल महिला गरिमा को ठेस पहुंचाई बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की सोच को भी उजागर कर दिया। जब एक महिला विधायक मानवीय संवेदना के तहत अस्पताल पहुंचती हैं, तब उनके चेहरे पर “केक लगा होने” जैसे असंगत और ओछे बयान देना यह दर्शाता है कि झारखंड का स्वास्थ्य मंत्रालय न केवल नेतृत्वहीनता से ग्रस्त है, बल्कि उसमें संवेदनशीलता का भी घोर अभाव है।
पूर्णिमा साहू उन गिने-चुने जनप्रतिनिधियों में से हैं, जो किसी घटना की जानकारी मिलते ही सक्रिय होती हैं। घटना के समय वह अपनी छोटी बच्ची को घर पर छोड़ तत्काल अस्पताल पहुंची, और वह भी घरेलू परिधान में। विभिन्न चैनलों पर उनके अस्पताल पहुंचने के दृश्य लाइव प्रसारित हुए। बावजूद इसके, मंत्री अंसारी का यह आरोप कि वह केवल दिखावे के लिए आईं, एक महिला के चरित्र और नीयत पर कीचड़ उछालने की कोशिश है। यह बयान न केवल उनके व्यक्तिगत स्तर को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सत्ता में बैठे कुछ नेता महिलाओं को लेकर किस मानसिकता से ग्रसित हैं।
इस अमर्यादित टिप्पणी के विरुद्ध भाजपा नेता और पूर्व जिलाध्यक्ष गुंजन यादव ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि यह बयान न केवल राजनीतिक शिष्टाचार के विरुद्ध है, बल्कि आम जनता की भावना का भी अपमान है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के समय झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए कई ठोस कदम उठाए गए थे, चाहे देवघर में एम्स हो, रांची में कैंसर अस्पताल और पांच मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हो, यह रघुवर सरकार के प्रयासों से ही हो पाया था, लेकिन इसके उलट, वर्तमान सरकार की उपलब्धियां गिनने लायक नहीं हैं। मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में की गई कटौती के चलते आज गरीब मरीजों को अपना घर-जमीन तक बेचना पड़ रहा है।
दूसरा, मंत्री अंसारी की टिप्पणी केवल व्यक्तिगत निंदा का विषय नहीं है, बल्कि यह सत्ता पक्ष के भीतर व्याप्त महिला विरोधी मानसिकता की एक गहरी और खतरनाक प्रवृत्ति का संकेत देती है। जब महिला जनप्रतिनिधियों को भी इस तरह की टिप्पणियों का सामना करना पड़े, तो यह साफ हो जाता है कि शासन की संवेदनशीलता किस कदर क्षीण हो चुकी है।
अंसारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे कांग्रेस नेतृत्व
अब सबकी निगाहें कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं।सोमवार को झारखंड दौरे पर पार्टी के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल हैं। ऐसे में उनके दौरे के बाद यह देखना अहम होगा कि क्या वह इस बेलगाम मंत्री पर लगाम लगाने का साहस दिखा पाएंगे या फिर कांग्रेस ‘बोलने से ज़्यादा तुष्टिकरण’ की राजनीति में उलझी रहेगी। अगर, कांग्रेस अपने “महिला सम्मान” के दावों पर खरा उतरना चाहती है, तो उसे बिना देरी किए अंसारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। नहीं तो जनता का यह विश्वास पक्का हो जाएगा कि कांग्रेस का “नारी सम्मान” सिर्फ एक नारा है, नीति नहीं। क्या कांग्रेस अपनी कथनी और करनी के अंतर को मिटाएगी, या एक बार फिर सियासी गणित के आगे नैतिकता की बलि चढ़ेगी—यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।