मनुष्य 84लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ है: गुप्तेश्वर पाण्डेय
चन्दन शर्मा की रिपोर्ट
बेगूसराय : जबतक पूरी चित्त शुद्धि नहीं होगी तब तक ज्ञान मार्ग में प्रवेश करना कठिन है । महाकवि तुलसीदास ने रामचरित मानस के माध्यम से बताया है कि राम के नाम को गाकर हम अपने परम लक्ष्य को पा सकते हैं। रामकथा सुनने से मनुष्य के हृदय में निश्चित रूप से गोविदं प्रकट होते हैं। मनुष्य 84 लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ है। भगवान ने सबों को बुद्धि दिया।तमो गुणी चेतना वाले मनुष्य व पशु में कोई अंतर नहीं होता। रजो गुणी वाले मनुष्य में अनंत कामनाएं व प्रचंड अहंकार होता है। धन मिलने से कोई सुखी नहीं हो सकता । ऐसे अधम जीवों के कल्याण के लिए भी तुलसी दास ने रामचरित मानस में मार्ग प्रशस्त किया है। वहीं शिव-गौरी संवाद की कथा में प्रसंग को रखते हुए
कथावाचक आचार्य पांडेय ने कहा कि सती को शिव ने कहा कि हमें न्योता नहीं मिला है फिर सती अकेले नैहर पहुंचती है जहां राज दक्ष द्वारा भगवान शिव के अपमानको सहन नहीं कर पाती है और सती यज्ञ हवन कुंड में कूद कर जान देती है।आगे इस प्रसंग में कहा कि स्त्रियों के लिए पति से बढ़कर दूसरा कोई भगवान नहीं द्वारान होता । तभी नारद जी ने यह संवाद महादेव तक पहुंचाया।
शिव ने क्रोधित होकर यज्ञ में विघ्न पैदा करने के लिए भूत प्रेतों को भेजते हैं। देवताओं ने त्राहिमाम करते ब्रह्मा से मिले और ब्रह्मा भगवान भोले शंकर को मनाने कैलाश पहुंचे ।भगवान शिव से अपमान का बदला लेने के लिए राजा दक्ष ने यज्ञ का अनुष्ठान किया है। कथा को श्रद्धा से नहीं सुनना भी बड़ा पाप है। कथा के बीच में उठ जाना महापाप है।
शिव विवाह की चर्चा करते हुए कथावाचक ने कहा कि पश्चिमी संस्कृति पर हमला करते हुए कहा लीव इन रिलेशन शिप का हर सनातनी को जमकर विरोध करना चाहिए। जब तक वैदिक धर्म से विवाह ना हो तबतक पुरूष को स्पर्श करना महापाप है। शिव विवाह के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सती का अगला जन्म राजा हिमाचल के घर में पार्वती के रूप में हुआ।