नई दिल्ली: कोई भी चुनाव बिना मुद्दों के नहीं लड़ा जा सकता है. हर चुनाव में राजनीतिक दल कई मुद्दों का चुनाव लड़ती है. वहीं, मतदाता भी वोट करते समय यह देखते हैं कि कौन सी पार्टी उनके संबंधित किस मुद्दे को एहमियत देती है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कई मुद्दे हैं जो चुनाव के केंद्र में हैं. इन्ही मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेर रही है. वहीं कई मु्द्दे ऐसे भी हैं जिनपर सरकार अपनी सफलता गिनाते हुए वोट मांग रही है. ऐसे में आइए जानते हैं इस लोकसभा चुनाव में कौन-कौन से मुद्दे महत्वपूर्ण हैं.
1-नौकरी
विपक्ष लगातार सरकार को नौकरी के मुद्दे पर घेर रही है और पूछ रही है कि सालाना 2 करोड़े नौकरी देने के उसके वादे का क्या हुआ. विपक्ष कह रहा है कि नोटबंदी और GST लागू करने की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा जिसकी वजह से नौकरी के अवसर पैदा नहीं हुए. नेशनल सैंपल सर्वे(सरकारी सर्वे) की लीक हुई रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017/18 में कुशल श्रमिकों के लिए बेरोजगारी की दर बढ़कर 12.4 प्रतिशत हो गई जो 2011/12 में 5.9 प्रतिशत थी. इसलिए भी यह एक बड़ा मुद्दा है. इस बार युवा वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है ऐसे में रोजगार एक मुख्य मुद्दा रहने वाला है.
2- राष्ट्रवाद
इस बार के चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा भी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हो गए. इसके बाद देश की सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर आतंकी शिविरों पर बम बरसाए. इसके बाद से ही देश की सेना के शौर्य को लेकर कई राजनीतिक बयानबाजी हुई. एक तरफ जहां बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में राष्ट्रवाद का मुद्दा सर्वोपरी रखा है और कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है तो वही विपक्ष बीजेपी पर देश की सेना के शौर्य का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही है. कुल मिलाकर भारत और पाकिस्तान के बीच पुलवामा आतंकी हमले के बाद जिस तरह रिश्तों में तल्खी आई है उसके कारण इस बार राष्ट्रवाद का मुद्दा भी एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन गया है.
3- राफेल
लंबे समय से राफेल डील को लेकर चल रहा विवाद अब मोदी सरकार के गले की फांस बन गया है. अब इस मामले में बड़ा ट्विस्ट आया जब सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक एक दिन पहले राफेल डील पर मोदी सरकार की सभी आपत्तियां खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लीक हुए दस्तावेज मान्य हैं और इस डील से जुड़े जो कागजात आए हैं, वो सुनवाई का हिस्सा होंगे. कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि 2019 के चुनाव में राफेल डील बड़े चुनावी मुद्दों में शामिल हो गया है. विपक्ष लगातार राफेल डील में पीएम मोदी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए हमला बोल रही है.
4- किसान
बढ़ती लागत और कम फसल की कीमतों के कारण लाखों गरीब किसानों के लिए कठिन परिस्थिति भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है. लगभग आधी आबादी खेती का काम करती है. दिसंबर में तीन बड़े खेती प्रधान वाले राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में चुनाव हारने के बाद बीजेपी ने अपने फरवरी के बजट में छोटे किसानों को 6,000 रुपये वार्षिक देने की घोषणा की. साथ ही इसी सप्ताह अपने चुनावी घोषणापत्र में भी किसानों के लिए कई बड़े वादे किए.
वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि उनकी सरकार बनती है तो किसानों के लिए अलग से बजट पेश किया जाएगा. साथ ही कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र में कहा है कि किसानों का कर्ज न चुका पाना अपराध के दायरे से बाहर होगा. ऐसे किसान जो कर्ज को चुकाने में असमर्थ हैं, उन पर आपराधिक मुकदमे नहीं चलेंगे बल्कि दीवानी कानून के तहत कानूनी कार्रवाई होगी. पार्टियों के इन वादों और देश में किसानों सी स्थिति से साफ है कि इस बार देश के किसान एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.
5- राम मंदिर
पिछली बार की तरह इस बार भी चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा बड़ा है. राम मंदिर पर बीजेपी ने जहां अपने घोषणा पत्र में कहा है कि कानून के मुताबिक जो भी रास्ता होगा उसे अपनाया जाएगा. वहीं कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है कि 2014 में राम मंदिर बनाने के अपने वादे में बीजेपी पूरी तरह असफल रही है. इस बार भी यह मुद्दा एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.
6- कल्याणकारी योजनाएं
मोदी सरकार के मुताबिक अपने कार्यकाल में उसने बहुत सारी कल्याणकारी और विकास योजनाओं को लॉन्च किया है. उज्ज्वला, स्वच्छ भारत, पीएम किसान, आयुष्मान भारत इसमें प्रमुख हैं. सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से उसने लोगों के कल्याण की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं. वहीं कांग्रेस भी अपनी योजनाओं के जरिए हाल में हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर चुकी है. उन्होंने लोगों को रिझाने के लिए तीन राज्यों में कर्जमाफी की घोषणा भी की थी. अब राहुल गांधी ने वादा किया है कि सरकार में आने के बाद बेसिक इनकम दी जाएगी. ऐसे में जहां बीजेपी अपने पांच साल के कल्यानकारी योजना पर वोट मांग रही है तो वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ‘न्याय’ स्कीम की बात कह कर वोटर्स को लुभाने की कोशिश की है. लिहाजा इस चुनाव में गरीबों के लिए कल्याणकारी योजना एक मुख्य मुद्दा होगी.
7-‘स्थिर सरकार’ बनाम गठबंधन
2014 की तरह यह चुनाव भी बीजेपी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ रही है. वहीं विपक्ष’महागठबंधन’ की
बात कर रही है. ऐसे में इस चुनाव में एक मुद्दा जो महत्वपूर्ण है वह है ‘स्थिर सरकार’ का. दरअसल बीजेपी कह रही है कि विपक्षी पार्टियों के पास पीएम के लिए कोई चेहरा ही नहीं है और वह स्थिर सरकार नहीं बना पाएगी.
8-महिलाओं के लिए योजना
देश की आधी आबादी यानी महिलाएं इस चुनाव में अहम भूमिका में होंगी. केंद्र सरकार ने टॉइलेट निर्माण, एलपीजी गैस की सुविधा और बलात्कार के मामलों पर सख्ती जैसे कदम उठाए हैं. इससे उन्हें महिलाओं का वोट मिलने का भरोसा है. बड़े नेता एमजीआर, एनटीआर, जयललिता से लेकर शिवराज सिंह चौहान और नीतीश कुमार को अबतक महिलाओं का जबरदस्त सपॉर्ट मिला है.
वहीं कांग्रेस ने न्याय स्कीम का पैसा परिवार की महिलाओं के अकॉउंट में जाने की बात कही है. साथ ही कांग्रेस ने कहा है 17वीं, लोकसभा के पहले सत्र में और राज्य सभा में संविधान संशोधन विधेयक के ज़रिए वो लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान करेगी. साथ ही हम केन्द्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान करेंगे. दोनों पार्टियों को देखकर यही लगता है कि इस बार महिलाओं के लिए योजना एक और महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दों में है.
9-NRC का मुद्दा
भारतीय जनता पार्टी असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के जरिए लोकसभा चुनाव 2019 में पूर्वात्तर के राज्यों में माहौल बनाकर बड़ी जीत का ख्वाब देख रही थी. लेकिन जिस तरह से चुनाव से ऐन पहले नागरिकता संशोधन विधेयक विरोध और अब स्थायी निवासी प्रमाण पत्र को लेकर अरुणाचल का माहौल तनावपूर्ण हुआ. इस विरोध की आंच में बीजेपी के जीत के मंसूबे कहां तक सफल होंगे यह देखने वाली बात होगी. वहीं कांग्रेस NRC जैसे मुद्दे पर बीजेपी को घेरते हुए कह रही है एनआरसी की प्रक्रिया को बीजेपी अपने हित के लिए इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में यह मुद्दा भी इसबार चुनावी मुद्दा है.
10- मॉब लिचिंग
भीड़ ने द्वारा किसी व्यक्ति को मार डालने की घटनाएं पिछले पांच साल से सरकार को विपक्ष द्वारा कटघरे में लाने का काम कर रही है. विपक्ष इस बात का आरोप लगाती रही है कि सरकार मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं पर मौन रहती है. वहीं बीजेपी का कहना है कि सरकार उन अपराधियों से सख्ती से निपटती रही है. ऐसे में मॉब लिंचिंग भी इस बार एक बड़ा मुद्दा है खासकर विपक्ष इस मुद्दे को लगातार उठा रही है.