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    Home » कलकत्ता हाईकोर्ट ने 34 सप्ताह की गर्भवती महिला को गर्भपात कराने का दिया अभूतपूर्व निर्देश
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    कलकत्ता हाईकोर्ट ने 34 सप्ताह की गर्भवती महिला को गर्भपात कराने का दिया अभूतपूर्व निर्देश

    Devanand SinghBy Devanand SinghFebruary 18, 2022No Comments3 Mins Read
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    कोलकाता. भारतीय कानून के तहत 24 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने की अनुमति नहीं है, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने 34 सप्ताह की गर्भवती महिला को गर्भपात कराने का अभूतपूर्व निर्देश दिया है. यह अनुमति शारीरिक दिक्कतों के चलते दी गई है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को यह अभूतपूर्व आदेश जारी किया. मामले की सुनवाई जस्टिस राजा शेखर मंथा की बेंच में हुई. महिला ने खुद गर्भपात के लिए आवेदन किया था. वकील सुतापा सान्याल ने उनकी तरफ से कोर्ट में सवाल किया, जबकि राज्य सरकार की ओर से वकील अमितेश बंद्योपाध्याय ने अपना पक्ष रखा.

    राज्य सरकार ने शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भपात को मंजूरी नहीं दी थी. इसके बाद महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अदालत के निर्देश पर इस तरह गर्भपात की प्रथा कोई नई बात नहीं है. हालांकि, 34 सप्ताह के बाद यह अनुमति बहुत ही अभूतपूर्व है. कलकत्ता हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के जज राजा शेखर मंथा ने बुधवार को गर्भवती महिला की सहमति से आदेश पारित किया.
    उत्तर कोलकाता की एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. शादी के बाद से ही उन्हें शारीरिक परेशानी थी. हालांकि कई साल बीत चुके थे, लेकिन उनके कोई बच्चे नहीं हुए थे.आखिरकार काफी इलाज के बाद वह गर्भवती हो गई, लेकिन बच्चे के गर्भ धारण करने के बाद फिर समस्या शुरू हुई. जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे समस्या भी बढ़ती गई. वादी वर्तमान में 34 सप्ताह की गर्भवती है. कई निजी अस्पतालों में उनका इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने कहना है कि उनकी हालत और खराब हो सकती है. अगर इस समय गर्भपात नहीं कराया गया तो मां की जान को खतरा हो सकता है. गर्भस्थ शिशु को भी शारीरिक परेशानी हो सकती है. इसलिए महिला ने गर्भपात की अर्जी के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

    इस दिन जस्टिस राजा शेखर मंथा सीधे महिला की राय जानना चाहा. उन्होंने महिला से पूछा कि वह गर्भपात कराने का जोखिम उठाने को तैयार है. महिला की मंजूरी के बाद जज ने गर्भपात याचिका को मंजूर कर लिया. हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया कि अगर गर्भपात के दौरान कुछ हुआ तो दंपति किसी को दोष नहीं दे सकते हैं.

    केंद्र ने पिछले साल गर्भपात की समय सीमा में बदलाव किया था. इससे पहले, विशेष मामलों में डॉक्टरों की अनुमति से एक सप्ताह के भीतर गर्भपात की अनुमति थी. पिछले साल इसे बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दिया गया था. 2021 के गर्भपात कानून संशोधन के अनुसार, बलात्कार, नाबालिग, शारीरिक या मानसिक अक्षमता या पति की मृत्यु हो जाने या तलाकशुदा होने की स्थिति में 24 सप्ताह के भीतर गर्भपात किया जा सकता है. भ्रूण में कोई विशेष दोष होने पर भी गर्भपात कराया जा सकता है. जान को खतरा होने पर भी यह कानून लागू होता है. सभी मामलों में मेडिकल बोर्ड शारीरिक स्थिति के आधार पर अंतिम मंजूरी देने का प्रावधान है.

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