जितिया जीउतिया अर्थात जीवित्पुत्रिका व्रत विचार —
१– *वाराणसी पंचांग के अनुसार माताएं अपनी संतान के लिए जीउतिया जितिया अर्थात जीमूतवाहन व्रत उदयकालीन अष्टमी तिथि पच्चीस सितंबर बुधवार को करेंगी और व्रत का पारणा वृहस्पतिवार नवमी तिथि को सूर्योदय के पश्चात् करेंगी। मातृ नवमी भी छब्बीस सितंबर वृहस्पतिवार को*
*वाराणसी पंचांग में ओठगन सरगही की चर्चा नहीं रहती है कि ओठगन सरगही कब करना है केवल उदयकालीन अष्टमी तिथि में व्रत की बात कही गई है इसीलिए वाराणसी पंचांग को मानने वाले लोग अपनी अपनी परंपरा के अनुसार ओठगन सरगही नहाय खाय तेल खरी कीजिए*
🙏🕉️🌺👏🙏🕉️🌺👏
*मिथिला पंचांग के अनुसार* –
*तेईस सितंबर को नहाय खाय पितराइन भोजन,तेईस सितंबर सोमवार को बारह बजे रात के बाद चौबीस सितंबर के सूर्य उगने से पहले भोर में ओठगन सरगही होगा* । *चौबीस सितंबर मंगलवार को जीतिया व्रत और पच्चीस सितंबर को सायं पांच बजकर पांच मिनट के बाद जितिया व्रत का पारणा किया जाएगा*
*सप्तमी तिथि में तेल खरी का विधान है तो तेईस सितंबर को रात्रि सात बजकर बत्तीस मिनट के बाद सप्तमी तिथि आरंभ होगी और चौबीस सितंबर को सायं छः बजकर छः मिनट तक सप्तमी तिथि रहेगी तेल खरी तेईस सितंबर को करेंगी तो रात्रि सात बजकर बत्तीस मिनट के बाद ही और चौबीस को दिनभर इसीलिए अपनी परंपरा के अनुसार सप्तमी तिथि में तेल खरी कीजिए*
🙏🌺🕉️👏🙏🌺👏🙏🕉️👏
*शास्त्रों में उदयकालीन अष्टमी व्रत की चर्चा है जीमूतवाहन व्रत कथा में भी उदयकालीन अष्टमी तिथि में व्रत की चर्चा की गई है । दोनों पंचांग अपने अपने मत को लेकर चलते हैं जिन्हें जो पसंद आएगा उसी पंचांग के अनुसार जितिया व्रत कीजिए फल एक समान*
*मातृ नवमी भोजन श्राद्ध दोनों पंचांगों में छब्बीस सितंबर वृहस्पतिवार को ही है इसमें कोई मतांतर नहीं है*
((डा सुधा नन्द झा ज्योतिषी जमशेदपुर मो एवं वाट्सअप नंबर 9430336503))
एक विनम्र निवेदन करता हूं कि अपने अपने क्षेत्र के पंडितों से परामर्श अवश्य लीजिए 🙏