अन्नपूर्णा देवी: गृहिणी से केंद्रीय मंत्री तक का सफर किया तय
गृहिणी अन्नपूर्णा देवी ने रविवार को नरेन्द्र मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली, हालांकि राजनीति कभी उनकी पहली पसंद नहीं थी।
उनके जीवन में उस वक्त नाटकीय मोड़ तब आया जब उनके पति व राजद विधायक रमेश यादव की 1998 में अचानक मृत्यु हो गई।
किस्मत उन्हें राजनीति में लेकर आ गई और वह एक अनजाने रास्ते पर एक कठिन यात्रा पर निकल पड़ीं। वह पिछली बार भी मोदी सरकार में राज्य मंत्री थीं।
इस बार उन्हें पदोन्नत करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इस कदम को इस साल के अंत में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़े ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए भाजपा की महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
सत्ता के गलियारे में अप्रत्याशित रूप से बढ़े उनके कद ने राजनीतिक हलकों में अटकलों और कौतूहल का नया सिलसिला शुरू कर दिया।
उन्हें 2021 में जब पहली बार मंत्री पद दिया गया तो इससे कई लोगों को हैरानी हुई थी। बाहरी लोगों के लिए, यह एक आश्चर्यजनक विकल्प था, लेकिन अंदरूनी लोगों के लिए, यह एक मास्टरस्ट्रोक था और झारखंड में ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए एक सोचा-समझा प्रयास।
ओबीसी के बीच उनका प्रभाव कोडरमा के अभ्रक-क्षेत्र से आगे बढ़कर पूरे राज्य में फैला हुआ है, जिससे वे राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गयी हैं।
कभी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की करीबी सहयोगी रहीं अन्नपूर्णा देवी को सात जुलाई 2021 को शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में केंद्र सरकार में शामिल किया गया था।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उनका भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होना उनकी राजनीतिक यात्रा में एक चौंकाने वाला मोड़ था।
भाजपा के टिकट पर कोडरमा से चुनाव लड़कर उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी। भाजपा में अप्रत्याशित रूप से शामिल होने से पहले अन्नपूर्णा झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की अध्यक्ष थीं।
झारखंड के दुमका में दो फरवरी, 1970 को एक बांग्ला भाषी परिवार में जन्मी अन्नपूर्णा ने रांची विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।
उनका राजनीतिक जीवन 1998 में शुरू हुआ जब उन्होंने राज्य विधानसभा उपचुनाव जीता और बिहार विधानसभा की सदस्य बनीं, बाद में तत्कालीन अविभाजित बिहार की राजद सरकार में खान और भूविज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
उन्होंने 2005 से 2014 तक झारखंड विधानसभा में दो कार्यकाल पूरे किए। वर्ष 2012 में, उन्हें झारखंड में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने सिंचाई, महिला एवं बाल कल्याण और पंजीकरण मंत्रालय का जिम्मा संभाला।
उनकी सबसे अहम राजनीतिक जीत 2019 में आई, जब उन्होंने भाजपा के टिकट पर झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के बाबूलाल मरांडी को 4.55 लाख मतों के भारी अंतर से हराया।
इस आम चुनाव में देवी ने भाकपा (माले) के विनोद कुमार सिंह को 3.77 लाख मतों के अंतर से हराकर कोडरमा सीट बरकरार रखी।