झारखंड में अधिवक्ताओ पर लगाए गए व्यावसायिक कर को शीघ्र समाप्त किया जाय: राजेश शुक्ल
झारखण्ड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन को ई मेल भेजकर झारखंड में अधिवक्ताओ पर लगे व्यावसायिक कर को शीघ्र समाप्त करने का आग्रह किया है।
श्री शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री भी है ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को लिखा है कि राज्य में पिछले 1 बर्ष से कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण अधिवक्ताओ का कार्य पूर्णरूपेण नही चल रहा है। अधिवक्ताओ के सामने 1 बर्ष से आर्थिक चुनौती के साथ अन्य चुनौतियों भी है। राज्य सरकार ने अधिवक्ताओ के लिए कोई कल्याणकारी कदम नही उठाये,यहा तक की राज्य सरकार ने अपने बजट में भी प्राथमिकता नही दिया।
श्री शुक्ल ने कहा है कि दिल्ली सरकार, तेलंगाना , तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, और उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओ के कल्याणकारी योजनाओं में सरकार ने मदद करने की कोशिश की। दिल्ली सरकार ने पूरी मदद की है, सामुहिक बीमा तक का भी प्रावधान बनाया, लेकिन झारखंड में अधिवक्ताओ के हितों पर सरकार ने ध्यान नही दिया। बल्कि पेशा कर लगा दिया।
श्री शुक्ल ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को लिखा है कि अधिवक्ता न्यायालय के ऑफिसर होते है उन पर व्यवसायिक कर लगाना गैर कानूनी है। अधिवक्ताओ के लिए अधिवक्ता अधिनियम बना है। उसी के तहद वे अपना दायित्व निभाते है। वे पेशा कर के परिधि में नही आते है। इस लिए राज्य सरकार को शीघ्र इसको वापस ले लेना चाहिए। श्री शुक्ल ने कहा है कि जल्द ही कौंसिल के सदस्य मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से मिलकर उनसे वापस लेने का आग्रह करेंगे।